"धूमकेतु": अवतरणों में अंतर

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नाभि धूमकेतु का केन्द्र होता है जो पत्थर और बर्फ का बना होता है। नाभि के चारों ओर गैस और घूल के बादल को कोमा कहते है। नाभि तथा कोमा से निकलने वाली गैस और धूल एक पूंछ का आकार ले लेती है।
 
जब धूमकेतु सूर्य के नजदीक आता है, सौर-विकिरण के प्रभाव से नाभि की गैसों का वास्पीकरण हो जाता है। इससे कोमा का आकार बढ़कर करोडों मील तक हो जाता है । कोमा से निकलने वाली गैस और घूल अरवों मील लम्बी पूछ का आकार ग्रहण कर लेती है । सौर-हवा के कारण यह पूछ सूर्य से उल्टी दिशा मेमें होती है । जैसे-जैसे धूमकेतु सूर्य के नजदीक आता है, पूंछ का आकार बढता जाता है ।
 
===नाभि===