"अभियान्त्रिकी": अवतरणों में अंतर
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==शाखाएँ==
ऐतिहासिक रूप से इंजीनियरी का उपयोग सबसे पहले [[सेना]] और सैनिक कार्यों में हुआ। इसके बाद जब इसका उपयोग असैनिक कार्यों (सड़क, पुल, भवन आदि का निर्माण) के लिये
सिविल इंजीनियरी ([[सर्वेक्षण]] इंजीनियरी तथा मानचित्र निर्माण सहित) , यांत्रिक इंजीनियरी और विद्युत इंजीनियरी इंजीनियरी की परम्परागत शाखाएँ हैं। [[खनन इंजीनियरी]], [[धातुकर्म]] और खान सर्वेक्षण का भी ऐतिहासिक महत्व है। वास्तुकला या स्थापत्यकला (आर्किटेक्चर) में इंजीनियरी और दृष्यकलाओं का सम्मिश्रण है।▼
▲सिविल इंजीनियरी ([[सर्वेक्षण]] इंजीनियरी तथा मानचित्र निर्माण सहित) , यांत्रिक इंजीनियरी और विद्युत इंजीनियरी इंजीनियरी की परम्परागत शाखाएँ हैं। [[खनन इंजीनियरी]], [[धातुकर्म]] और खान सर्वेक्षण का भी ऐतिहासिक महत्व है। वास्तुकला या स्थापत्यकला (आर्किटेक्चर) में इंजीनियरी और दृष्यकलाओं का सम्मिश्रण है।
▲ऐतिहासिक रूप से इंजीनियरी का उपयोग सबसे पहले सेना और सैनिक कार्यों में हुआ। इसके बाद इसका उपयोग असैनिक कार्यों के लिये हुआ और नाम पड़ा - 'सिविल इंजीनियरी' (असैनिक इंजीनियरी) । समय के साथ इंजीनियरी के अन्य क्षेत्रों का विकास हुआ जिनकी प्रकृति सिविल इंजीनियरी से भी अलग थी और उन्हें 'यांत्रिक इंजीनियरी', 'वैद्युत इंजीनियरी' आदि नाम दिया गया।
अभियांत्रिकी की अनेक शाखाओं में, जैसे जानपद अथवा असैनिक (सिविल), यांत्रिक, विद्युतीय, सामुद्र, खनिजसंबंधी, रासायनिक, नाभिकीय आदि में, कुछ महत्वपूर्ण कार्य अन्वेषण, प्ररचन, उत्पादन, प्रचलन, निर्माण, विक्रय, प्रबंध, शिक्षा, अनुसंधान
'''जानपद अथवा असैनिक अभियांत्रिकी ([[सिविल इंजीनियरिंग]])''' के अंतर्गत अग्रलिखित विषय है : सड़कें, रेल, नौतरण मार्ग, सामुद्र अभियांत्रिकी, बाँध, अपक्षरणनिरोध, बाढ़ नियंत्रण, नौनिवेश, पत्तन, जलवाहिकी, जलविद्युत्शक्ति, जलविज्ञान, सिंचाई, भूमिसुधार, नदीनियंत्रण, नगरपालिका अभियांत्रिकी, स्थावर संपदा, मूल्यांकन, शिल्पाभियांत्रिकी (वास्तुकला), पूर्वनिर्मित भवन, ध्वनिविज्ञान, संवातन, नगर तथा ग्राम परियोजना, जलसंग्रहण और वितरण, जलोत्सारण, महापवहन, कूड़े-कचड़े का अपवहन, सांरचनिक अभियांत्रिकी, पुल, कंक्रीट, जाएत्विक संरचनाएँ, पूर्वप्रतिबलित कंक्रीट (प्रिस्ट्रेस्ड कंक्रीट), नींव, संजान (वेल्डिंग), भूसर्वेक्षण, सामुद्रपरीक्षण, फ़ोटोग्राफीय सर्वेक्षण (फ़ोटोग्राफ़िक सर्वेयिंग), परिवहन, भूविज्ञान, द्रवयांत्रिकी, प्रतिकृति, विश्लेषण, मृदायांत्रिकी (सॉयल इंजीनियरिंग), जलस्रावी स्तरों में चिकनी मिट्टी प्रविष्ट करना, शैलपूरित बाँध, मृत्तिका बाँध, पूरण (भरना, ग्राउटिंग) की रीतियाँ, जलाशयों में जल रिसाव (सीपेज) के अध्ययन के लिए विकिरणशील समस्थानिकों (आइसोटोप्स) का प्रयोग, अवसाद के घनत्व के लिए गामा किरणों का प्रयोग।
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[[संगणक अभियान्त्रिकी]]
[[धातु निस्तारण अभियांत्रिकी]]
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