"वितत भिन्न": अवतरणों में अंतर

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{| style="width:180px;border:1px solid #d0d0d0; margin:0 2px 1em 1em;float:right" cellspacing="3" cellpadding="5"
| align=center border=1px solid #d0d0d0 | <math> \sqrt 2 = 1 + \cfrac{1}{2 + \cfrac{1}{2 + \cfrac{1}{2+\,\cdots}}}</math>
|-
|<small>अनन्त सतत भिन्न के रूप में विस्तार का एक उदाहरण</small>
|}
[[गणित]] में निम्नलिखित प्रकार के [[व्यंजक]] (expression) को '''सतत भिन्न''' (continued fraction) कहते हैं।
:<math>x = a_0 + \cfrac{1}{a_1 + \cfrac{1}{a_2 + \cfrac{1}{a_3 + \cfrac{1}{\ddots\,}}}} </math>
 
यहाँ, ''a''<sub>0</sub> एक [[पूर्णांक]] है तथान्य सभी संख्याएँ ''a''<sub>''i''</sub> (''i'' ≠ 0) धनात्मक [[पूर्णांक]] हैं। यदि उपरोक्त सतत भिन्न में [[अंश]] एवं [[हर]] का मान कुछ भी होने की स्वतंत्रता दे दी जाय (जैसे [[फलन]] होने की छूट) तो इसे 'सामान्यीकृत सतत भिन्न' कह सकते हैं।
 
==उपयोग==
* '''कैलेण्डर सिद्धान्त''' - ग्रेगरी कैलेण्डर के किस वर्ष में ३६५ दिन और किस वर्ष में ३६६ दिन होंगे, ।इसको निर्धारित करने का आधार सतत भिन्न है।
 
* अपरिमेयता (irrationality) का प्रमाण
 
* [[पेल का समीकरण|पेल के समीकरण]] का हल
 
* आर्थोगोनल बहुपदों के वैशीष्टीकरण में
 
==कुछ उपयोगी प्रमेय==
 
 
==इतिहास==
प्राचीन काल से ही सतत भिन्नों का उपयोग किया जा रहा है।
 
[[आर्यभट]] ने प्रथम डिग्री तथा द्वितीय डिग्री वाले [[अनिर्धार्य समीकरण|।अनिर्धार्य समीकरणों]] के हल सतत भिन्न के रूप में ही दिये हैं। सोलहवीं शताब्दी में राफेल बम्बेली ने सतत भिन्न के रूप में [[वर्गमूल]] निकाला।
 
== इन्हें भी देखें ==