"आइसोप्रोपेनॉल": अवतरणों में अंतर

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{{कार्बनिक यौगिक}}
 
[[प्रांगारकार्बन]] के [[रासायनिक यौगिक|रासायनिक यौगिकों]] को '''कार्बनिक यौगिक''' कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ [[हाइड्रोजन|उदजन]] भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें [[प्रांगार एकजारेयकार्बनडाइऑक्साइड]], [[प्रांगारकार्बन द्विजारेयमोनोऑक्साइड]] प्रमुख हैं। सभी [[जैव अणु]] जैसे [[कार्बोहाइड्रेट]], [[अमीनो अम्ल]], [[प्रोभूजिनप्रोटीन]], [[आरएनए]] तथा [[डीएनए]] कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और [[हाइड्रोजन|उदजन]] के यौगिको को [[उदप्रांगार]]हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH<sub>4</sub>) सबसे छोटे अणुसूत्र का [[उदप्रांगार]]हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C<sub>2</sub>H<sub>6</sub>), प्रोपेन (C<sub>3</sub>H<sub>8</sub>) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। [[उदप्रांगार]]हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के [[उदप्रांगार]]हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें [[हाइड्रोजन|उदजन]] की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (=) है, ऐसीटिलीन में त्रिगुण बंध (º) वाले यौगिक अस्थायी हैं। ये आसानी से ऑक्सीकृत एवं हैलोजनीकृत हो सकते हैं। हाइड्रोकार्बनों के बहुत से व्युत्पन्न तैयार किए जा सकते हैं, जिनके विविध उपयोग हैं। ऐसे व्युत्पन्न नीरेय (क्लोराइड), दुराघ्रेय (ब्रोमाइड), जांबेय (आयोडाइड), [[सुषव]]ऐल्कोहाल, सोडियम ऐल्कॉक्साइड, ऐमिन, मरकैप्टन, भूयीय (नाइट्रेट), भूयितनाइट्राइट, (नाइट्राइट), उदजन भास्वीय (हाइड्रोजन फास्फेट) तथा उदजन गन्धीय (हाइड्रोजन सल्फेट) हैं। असतृप्त [[उदप्रांगार]]हाइड्रोकार्बन अधिक सक्रिय होता है और अनेक अभिकारकों से संयुक्त हा सरलता से व्युत्पन्न बनाता है। ऐसे अनेक व्युत्पंन औद्योगिक दृष्टि से बड़े महत्व के सिद्ध हुए हैं। इनसे अनेक बहुमूल्य विलायक, प्लास्टिक, कृमिनाशक ओषधियाँ आदि प्राप्त हुई हैं। हाइड्रोकार्बनों के ऑक्सीकरण से ऐल्कोहॉल ईथर, कीटोन, ऐल्डीहाइड, वसा अम्ल, एस्टर आदि प्राप्त होते हैं। ऐल्कोहॉल प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक हो सकते हैं। इनके एस्टर द्रव सुगंधित होते हैं। अनेक सुगंधित द्रव्य इनसे तैयार किए जा सकते हैं। इसी प्रकार {{PAGENAME}} को भी विभिन्न प्रयोगों में लिया जा सकता है।
 
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