"गणितसारसंग्रह": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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#कालासवर्णव्यवहारः (Fractions)
#प्रकीर्णकव्यवहारः (Miscellaneous problems)
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#मिश्रकव्यवहारः (Mixed problems)
#क्षेत्रगणितव्यवहारः (Measurement of Areas)
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'''अर्थ''': लौकिक, वैदिक तथा सामयिक में जो व्यापार है वहाँ सर्वत्र संख्या का ही उपयोग होता है। कामशास्त्र, अर्थशास्त्र, गन्धर्वशास्त्र, गायन, नाट्यशास्त्र, पाकशास्त्र, आयुर्वेद, छन्द, अलंकार, काव्य, तर्क, व्याकरण आदि में तथा कलाओं में समस्त गुणों में गणित अत्यन्त उपयोगी है। सूर्य आदि ग्रहों की गति ज्ञात करने में, देश और काल को ज्ञात करने में सर्वत्र गणित अंगीकृत है। द्वीपों, समूहों और पर्वतों की संख्या, व्यास और परिधि, लोक, अन्तर्लोक, स्वर्ग और नरक के निवासी, सब श्रेणीबद्ध भवनों, सभा एवं मन्दिरों के निर्माण गणित की सहायता से ही जाने जाते हैं। अधिक कहने से क्या प्रयोजन? तीनों लोकों में जो भी वस्तुएँ हैं उनका अस्तित्व गणित के बिना नहीं हो सकता।
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://ia700300.us.archive.org/11/items/gaitasrasagraha00mahvuoft/gaitasrasagraha00mahvuoft.pdf गणितसारसंग्रह]
*[http://www.new.dli.ernet.in/rawdataupload/upload/insa/INSA_1/20005af8_17.pdf गणितसारसंग्रह पर कुछ विचार] (बीएस जैन)
{{भारतीय गणित}}
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