"ज्वार": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Sorghum.wild-India-Tamil word27.1.jpg|300px|thumb|right|ज्वार के दाने]]
'''ज्वार''' (Sorghum vulgare ; [[संस्कृत]] : यवनाल, यवाकार या जूर्ण ) एक प्रमुख फसल है । ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा
यह अनाज संसार के बहुत से भागों में होता है । भारत, चीन, अरब, अफ्रीका, अमेरिका आदि में इसकी खेती होती है । ज्वार सूखे स्थानों में अधिक होती है, सीड़ लिए हुए स्थानों में उतनी नहीं हो सकती । भारत में राजस्थान, पंजाब आदि में इसका ब्यवहार बहुत अधिक होता है । बंगाल, मद्रास, बरमा आदि में ज्वार बहुत कम बोई जाती है । यदि बोई भी जाती है तो दाने अच्छे नहीं पडते । इसका पौधा [[नरकट]] की तरह एक डंठल के रूप में सीधा ५-६ हाथ ऊँचा जाता है । डंठल में सात सात आठ आठ अंगुल पर गाँठें होती हैं जिनसे हाथ डेढ़ हाथ लंबे तलवार के आकार के पत्ते दोनों ओर निकलते हैं । इसके सिरे पर फूल के जीरे और सफेद दानों के गुच्छे लगते हैं । ये दाने छोटे छोटे होते हैं और गेहूँ की तरह खाने के काम में आते हैं ।
ज्वार कई प्रकार की होती है जिनके पौधों में कोई विशेष भेद नहीं दिखाई पड़ता । ज्वार की फसल दो प्रकार की होती है, एक रबी, दूसरी खरीफ । [[मक्का]] भी इसी का एक भेद है । इसी से कहीं कहीं मक्का भी ज्वार ही कहलता है । ज्वार को जोन्हरी, जुंडी आदि भी कहते हैं । इसके डंठल और पौधे को चारे के काम में लाते हैं और 'चरी' कहते हैं । इस अन्न के उत्पत्तिस्थान के संबंध में मतभेद है । कोई कोई इसे अरब आदि पश्चिमी देशों से आया हुआ मानते हैं और 'ज्वार' शब्द को अरबी 'दूरा' से बना हुआ मानते हैं, पर यह मत ठीक नहीं जान पड़ता । ज्वार की खेती भारत में बहुत प्राचीन काल से होती आई है । पर यह चारे के लिये बोई जाती थी, अन्न के लिये नहीं ।
==ज्वार के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक==
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