"प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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{{main|चिरसम्मत क्षेत्र सिध्दांत}}
चिरसम्मत क्षेत्र सिध्दांत दिक्-काल के अध्ययन क्षेत्र में परिभाषित फलन है <ref name="tong1">डेविड टोंग, ''[http://www.damtp.cam.ac.uk/user/tong/qft.html प्रमात्रा क्षेत्र सिद्धान्त पर व्यख्यानव्याख्यान]'', पाठ 1.</ref> दो परिघटनाएं जो जो कि चिरसम्मत सिद्धान्त द्वारा वर्णित की जा सकती हैं वो हैं [[न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त]] '''g'''('''x''', ''t'') (यहाँ g, x और t का सतत् फलन है) और चिरसम्मत विद्युत-चुम्बकत्व जिसे विद्युत क्षेत्र '''E'''('''x''', ''t'') और चुम्बकीय क्षेत्र '''B'''('''x''', ''t'') से वर्णित किया जा सकता है। क्योंकि ये क्षेत्र समष्टि के प्रत्येक बिन्दु पर सिद्धान्तन विशिष्ट मान रख सकते हैं, इनकी स्वतंत्रता की विमा अनन्त होती है।<ref name="tong1" />
 
==== लाग्रांजियन फोर्मुले ====