"वर्गमूल निकालने की विधियाँ": अवतरणों में अंतर

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* ३०० ईसापूर्व रचित जैन ग्रन्थ [[जम्ब्द्वीपप्रज्ञप्ति]] में वर्गमूल निकालने की विधि दी गई है। यही विधि जीवहिगम-सूत्र (२००ई), [[अनुयोगद्वारसूत्र]] (० ई) तथा [[त्रिलोकसार]] ( ० ई) में भी मिलता है।
 
==सन्निकट (Rough) वर्गमूल निकालना==
धनात्मक संख्याओं ''S'' के वर्गमूल निकालने की अधिकांश विधियों का आरम्भ वर्गमूल के एक सन्निकट मान से होता है जिसे क्रमशः शुद्ध बनाते जाते हैं। यदि यह आरम्भिक मान, वर्गमूल के शुद्ध मान से बहुत दूर होगा तो गणना करने में अधिक चरण (और अधिक समय) लगेंगे। इसलिए वर्गमूल का सन्निकट मान निकालना बहुत उपयोगी है।
 
माना पूर्णांक ''S'' ≥ 1, तथा इसमें अंकों की संख्या ''D'' है। तो
:यदि ''D'' विषम है, ''D'' = 2''n'' + 1, तो <math> \sqrt{S} \approx 2 \cdot 10^n.</math>
:If ''D'' सम है, ''D'' = 2''n'' + 2, तो <math> \sqrt{S} \approx 6 \cdot 10^n.</math>
 
;उदाहरण :
माना 234 का वर्गमूल निकालना है। यहाँ D=3 tathaa n = 1 . अतः 234 के वर्गमूल का मान = <math> \sqrt{S} \approx 2 \cdot 10^2.</math> ( = 20 )
 
== बाहरी कड़ियाँ ==