"जल टरबाइन": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
[[चित्र:Water turbine (en 2).svg|right|thumb|300px|पेल्टन टरबाइन तथा उससे जुड़े विद्युत जनित्र की काट का चित्र]]
'''जलचक्र''' या '''जल टरबाइन''' (water turbines) वे घूर्णी इंजन हैं जो बहती हुई जलराशि में निहित [[गतिज ऊर्जा]] को [[यांत्रिक कार्य]] में परिवर्तित कर देते हैं। इनका आधुनिक विकास १९वीं शताब्दी में हुआ तथा [[विद्युत ग्रिड]] के आने के पहले तक वे औद्योगिक शक्ति के लिए बहुतायत में प्रयोग की जातीं थी। वर्तमान समय में इनका उपयोग मुख्यतः [[जल विद्युत|।बिजलीबिजली]] पैदा करने के लिए होता है।
 
पनचक्कियाँ विभिन्न प्रकार से बनाई जाने पर भी बड़ी ही सरल प्रकार की युक्तियाँ (devices) हैं जिनका प्रयोग प्रागैतिहासिक काल से ही शक्ति उत्पादन करने के लिए होता चला आया है। समय समय पर आवश्यकताओं तथा परिस्थितियों से प्रेरित होकर लोगों ने इनमें अनेक सुधार किए, अत: जल टरबाइन भी पनचक्की का ही विकसित रूप है। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध से तो इनका इतना उपयोग बढ़ गया है कि इनके द्वारा लगभग सभी सभ्य देशों में जगह जगह, छोटे बड़े अनेक जल-विद्युत [[शक्ति-गृह]] बनाए जाने लगे। इस कारण सुदूर जलहीन देहातों में भी बड़े सस्ते भाव पर बिजली प्राप्त होने लगी और नाना प्रकार के उद्योग धंधों के विकास को प्रत्साहन मिला।
पंक्ति 15:
 
==जलचालित मोटरों का वर्गीकरण==
[[चित्र:Water Turbine Chart.png|right|thumb|400px|जल टरबाइनों के उपयोग का चार्ट]]
यह वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार है :
# जलधारा के प्रवाह तथा गुरुत्वाकर्षण जनित ऊर्जा चालित चक्र
Line 74 ⟶ 75:
 
==टरबाइनों के धावक चक्र (Runner) ==
[[चित्र:Water turbine runners.jpg|right|thumb|300px|विभिन्न प्रकार के धावक : (बाएंम्बाएं से दाँएँदाएँ)<br>पेल्टन टर्बाइन का धावक, फ्रांसिस टर्बाइन के दो तरह के धावक, कप्लन टरबाइन का धावक]]
टरबाइनों का घूमनेवाला चक्र जिसकी परिधि पर डोलचियाँ अथवा पंख लगे होते हैं, ''''धावक'''' कहलाता है। टरबाइनों का यही प्रमुख अवयव है जिसकी उत्तम बनावट तथा संतुलन पर उनकी कार्यक्षमता तथा शक्ति निर्भर करती है। दो प्रकार को टरबाइनें प्राय: अधिक काम आती हैं, एक तो त्रैज्य अंत:प्रवाही प्रतिक्रियात्मक और दूसरी आवेगात्मक। प्रथम प्रकार में से फ्रैंसिस की टरबाइन है, जो 100 से लेकर 500 फुट तक के वर्चस्‌युक्त जल के उपयुक्त है। आवश्यकता पड़ने पर 600 फुट वर्चस्‌ के जल का भी इनके साथ उपयोग किया जा सकता है।
 
Line 88 ⟶ 89:
 
==जल टरबाइनों की कार्यक्षमता ==
किसी भी जल टरबाइन की सैद्धांन्तिक [[अश्वशक्ति]] उसपर प्रति मिनट गिरनेवाले पानी के भार तथा जितनी ऊँचाई से वह गिरता है उसके गुणनफल के अनुपात से जानी जा सकती है। उदाहरणत: यदि स्लूस मार्ग द्वारा प्रति सेकेण्ड टरबाइन पर आनेवाले पानी का आयतन '''V''' घन मीटर हो, पानी का घनत्व '''d''' हो और उस पानी का वर्चस्‌ '''h''' मीटर हो तो उसकी सैद्धांतिक शक्ति '''V.d.g.h''' होगी। किसी चालक यंत्र की कार्यक्षमता उसकी सैद्धांतिक शक्ति, और वास्तविक प्रदत्त शक्ति का अनुपात समझी जाती है। प्रदत्त अश्वशक्ति को रोधन या ब्रेक अश्वाशक्ति (brake horse power, B.H.P.) भी कहते हैं; अत: किसी जल टरबाइन की कार्यक्षमतादक्षता = HP / BHP. आजकल की विशाल जल टरबाइनों की दक्षता ९०% से भी अधिक होती है।
 
==सन्दर्भ ग्रन्थ==