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'''लोकसम्पर्क''' या '''जनसम्पर्क''' या '''जनसंचार''' (Mass communication) से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण से है जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संचार सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं। प्रायः इसका अर्थ सम्मिलित रूप से [[समाचार पत्र]], [[पत्रिका|पत्रिकाएँ]], [[रेडियो]], [[दूरदर्शन]], [[चलचित्र]] से लिया जाता है जो समाचार एवं [[विज्ञापन]] दोनो के प्रसारण के लिये प्रयुक्त होते हैं।
 
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हिंदी का प्रथम समाचारपत्र '[[उदंत मार्तंड]]' था, जिसके संपादक श्री [[युगलकिशोर शुक्ल]] थे। दूसरा पत्र 'बनारस अखबार' [[राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद]] ने सन् १८४५ में प्रकाशित कराया था। इसके संपादक एक मराठी सज्जन श्री गोविंद रघुनाथ भत्ते थे। सन् १८६८ में [[भारतेंदु हरिश्चंद्र]] ने 'कवि वचन सुधा' नामक मासिक पत्रिका निकाली। पीछे इसे पाक्षिक और साप्ताहिक संस्करण भी निकले। १८७१ में 'अल्मोड़ा समाचार' नामक साप्ताहिक प्रकाशित हुआ। सन् १८७२ में [[पटना]] से 'बिहार बंधु' नामक साप्ताहिक पत्र प्रकाशित हुआ। इसके प्रकाश्न में पंडित केशोराम भट्ट का प्रमुख हाथ था। सन् १८७४ में दिल्ली से सदादर्श, और सन् १८७९ में [[अलीगढ़]] से 'भारत बंधु' नामक पत्र निकले। ज्यों ज्यों समाचारपत्रों की संख्या बढ़ती गई त्यों त्यों उनके नियंत्रण और नियमन के लिए कानून भी बनाते गए। राष्ट्रीय जागरण के फलस्वरूप देश में दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासि आदि पत्रों का प्रकाशन अधिक होने लगा। समाचारपत्रों के पठनपाठन के प्रति जनता में अधिक अभिरुचि जाग्रत हुई। १५ अगस्त, १९४७ का जब देश स्वतंत्र हुआ तो प्राय: सभी बड़े नगरों से समाचारपत्रों का प्रकाशन होता था। स्वतंत्र भारत के लिए जब संविधान बना तो पहली बार भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत को मान्यता दी गई। समाचारपत्रों का स्तर उन्नत बनाने के लिए एक आयोग का गठन किया गया।
 
==रेडियो, टेलीविजन==
 
==चलचित्र==
 
==इन्हें भी देखें==
* [[पत्रकारिता]]
 
[[श्रेणी:पत्रकारिता]]
[[श्रेणी:संचार]]