"प्राचलिक समीकरण": अवतरणों में अंतर

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प्राचलिक समीकरण वास्तव में एक समीकरण न होकर कई समीकरणों का समुच्चय होता है। किसी भी [[सरल रेखा]] या वक्र को प्राचलिक समीकरण के रूप में लिखा जा सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्राचल कभी भी अनन्य (unique) नहीं होते। वास्तव में प्राचल का चुनाव विभिन्न तरह से किया जा सकता है और ऐसे प्राचल का चुनाव करना अच्छा रहता है जिससे समीकरणों का स्वरूप सरल दिखे तथा गणना करने में आसानी हो।
 
कई जगह ये प्राचल वास्तव में कोई वास्तविक भौतिक राशि होते हैं। उदाहरण के लिए किसी गतिमान पिण्ड की स्थिति, [[विस्थापन]], [[वेग]], [[त्वरण]] आदि को [[समय]] '''t''' के फलन के रूप में अभिव्यक्त किया जाय तो किसी भी समय पर इनकी गणना करना अत्यन्त सरल एवं सुविधाजनक होगा।
 
==कुछ प्रमुख वक्रों के प्राचलिक समीकरण==
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यह त्रिबीमीय हेलिक्स (three dimensional helix) का प्राचलिक समीकरण है जिसकी त्रिज्या ''a'' है तथा प्रत्येक चक्र में 2π''b'' इकाई z-दिशा में आगे बढ़ता है।
 
इसी तरह, '''R''' दीर्घ त्रिज्या तथा '''r''' लघुत्रिज्या वाले [[टोरस]] को निम्नलिखित प्राचलिक समीकरणों द्वारा सरलता से अभिव्यक्त किया जा सकता है:
[[चित्र:Torus.png|thumb|150px|right|R=2 i तथा r=1/2 वाला 'टोरस']]
 
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तथा <math>t \in [0 , 2 \pi ),</math>
<math>u \in [0 , 2 \pi ).</math>
 
==प्राचलिक समीकरणों को एक समीकरण में बदलना==
इसके लिए प्राचल का [[विलोपन]] करना पड़ता है।
 
[[श्रेणी: निर्देशांक ज्यामिति]]