"शैवाल": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Alge unbekannt.jpg|thumb|right|300px|एक शैवाल]]
[[चित्र:Laurencia.jpg|right|thumb|300px|लौरेंशिया]]
'''शैवाल''' (Algae / एल्गी) सरल सजीव हैं। अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में [[प्रकाश संश्लेषण]] की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात् [[स्वपोषी]] होते हैं। ये एक कोशिकीय से लेकर बहु-कोशिकीय अनेक रूपों में हो सकते हैं, परन्तु पौधों के समान इसमें जड़, पत्तियां इत्यादि रचनाएं नहीं पाई जाती हैं। ये नम भूमि, अलवणीय एवं लवणीय जल
== परिचय ==
भूमंडल पर पाए जानेवाले पौधों का विभाजन दो बड़े विभागों में किया गया है। जो पौधे फूल तथा बीज नहीं उत्पन्न करते उनको [[क्रिप्टोगैम]] (Cryptogams) कहते हैं और जो फूल, फल एवं बीज उत्पन्न करते हैं वे [[
रचना के विचार से शैवालों में बहुत विभिन्नता पाई जाती है। कुछ तो अति सूक्ष्म एककोशिक होते हैं, जो केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही दृश्य हैं तथा कुछ ऐसे होते हैं जो कई सेंमी. लंबे होते हैं। क्लोरेला (Chlorella), क्लैमिडोमॉनैस (Chlamydomonas) आदि प्रथम कोटि में ही आते हैं। बड़े कोटिवाले शैवाल सूत्रवत् (filamentous) होते हैं, जो कई कोशिकाओं के बने होते हैं। सबसे बड़ा शैवाल मैक्रोसिस्टिस (Macrocystis) है, जो लाखों कोशिकाओ से बना तथा कई सौ फुट लंबा होता है। प्रत्येक कोशिका के अंदर एक केंद्रक (nucleus) होता है, जिसके चारों ओर कोशिकारस होता है। प्रत्येक कोशिका चारों ओर से कोशिकीय दीवारों से घिरी होती है। पर्णहरित तथा क्लोरोप्लास्ट (chloroplast) कोशिकारस में बिखरे रहते हैं।
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== शैवालों का विभाजन ==
[[चित्र:NSW seabed 1.JPG||right|thumb|300px|छिछले समुद्र की सतह पर उगे हुए तरह-तरह के शैवाल]]
विभिन्न वैज्ञानिकों के मत से विभिन्न विभागों में किया गया है। एफ. ई. फ्रट्श (F. E. Fristsch) नामक एक महान् शैवालविज्ञानवेत्ता ने शैवालों को ग्यारह विभागों में विभाजित किया है, जो निम्न प्रकार हैं :
(१) ''' मिक्सोफाइसिई''' - ये शैवाल साधारण कोटि के होते हैं, जिनकी कोशिका में निश्चित केंद्रक नहीं होता, परंतु केंद्रजनित वस्तुएँ कोशिका में विद्यमान रहती हैं। पर्णहरित के अतिरिक्त फाइकोसाइनिन (phycocyanin) तथा फाइकोएरि्थ्रान (phycoerythrin) भी विद्यमान रहते हैं। जनन विखंडन (fission) द्वारा होता है लैंगिक जनन नहीं होता। सूत्रवत् पौधों (filamentous members) में हेटरोसिस्ट्स (heterocysts) विद्यमान होते हैं। किसी किसी में समेरुका (hormogonium) बनता है, जो जनन में सहायक होता है। इस विभाग के पौधे जमीन, वृक्षों के तनों एवं डालियों तथा
▲(१) ''' मिक्सोफाइसिई''' - ये शैवाल साधारण कोटि के होते हैं, जिनकी कोशिका में निश्चित केंद्रक नहीं होता, परंतु केंद्रजनित वस्तुएँ कोशिका में विद्यमान रहती हैं। पर्णहरित के अतिरिक्त फाइकोसाइनिन (phycocyanin) तथा फाइकोएरि्थ्रान (phycoerythrin) भी विद्यमान रहते हैं। जनन विखंडन (fission) द्वारा होता है लैंगिक जनन नहीं होता। सूत्रवत् पौधों (filamentous members) में हेटरोसिस्ट्स (heterocysts) विद्यमान होते हैं। किसी किसी में समेरुका (hormogonium) बनता है, जो जनन में सहायक होता है। इस विभाग के पौधे जमीन, वृक्षों के तनों एवं डालियों तथा इर्टोंं पर और पानी में पैदा होते हैं। एककोशिक शैवाल कभी कभी चिपचिपा पदार्थ पैदा करते हैं और इसी में हजारों की संख्या में पड़े रहते हैं।
(२) '''यूग्लीनोफाइसिई''' - ये मीठे पानी या खारे पानी में पाए जाते हैं। बहुधा एकाकी और स्वतंत्र रूप में भ्रमणशील अथवा स्थिर रहते हैं। इनमें पौधों तथा जानवरों के गुण विद्यमान रहते हैं। कोशिका में केंद्रक तथा कशाभिका विद्यमान रहती है। जनन विभाजन द्वारा होता है।
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