"उष्मागतिकी": अवतरणों में अंतर

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19वीं शताब्दी के मध्य में उष्मागतिकी के दो सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया था, जिन्हें उष्मागतिकी के प्रथम एवं द्वितीय सिद्धांत कहते हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में दो अन्य सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है जिन्हें उष्मागतिकी का शून्यवाँ तथा तृतीय सिद्धांत कहते हैं।
 
== द्वितीय सिद्धांत का स्वयंताथ्यिक प्रतिपादन ==
ऊपर हमने द्वितीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया है जो क्लाजिउस आदि के अनुसार है। इसके अतिरिक्त कैराथियोडोरी ने स्वयंताथ्यिक प्रतिपादन दिया है। कैराथियोडोरी का प्रमेय यह है कि दा-आ (द्र-ज्) लेखाचित्र में निकाय की अवस्था में निर्देश बिंदु के आसपास ऐसे अनेक बिंदु हैं जिन तक उत्क्रमणीय-स्थिरोष्म-प्रक्रम द्वारा पहुँचना असंभव है। इस प्रमेय से आरंभ करके परमताप एवं एंट्रापी की भावना तक पहुँचा जा सकता है।
 
== सन्दर्भ ग्रन्थ ==