"व्यावहारिक गणित": अवतरणों में अंतर

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'''व्यावहारिक गणित''' ( अनुप्रयुक्त गणित या प्रायोगिक गणित) , [[गणित]] की वह शाखा है जो ज्ञान की अन्य विधाओं की समस्याओं को गणित के जुगाड़ों (तकनीकों) के प्रयोग से हल करने से सम्बन्ध रखती है। ऐतिहास दृष्टि से देखें तो भौतिक विज्ञानों (physical sciences) की आवश्यकताओं ने गणित की विभिन्न शाखाओं के विकास में महती भूमिका निभायी। उदाहरण के लिये [[तरल यांत्रिकी]] में गणित का उपयोग करने से एक हल्का एवं कम ऊर्जा से की खपत करने वाला [[वायुयान]] की डिजाइन की जा सकती है।
 
बहुत पुरातन काल से ही विषयों में गणित सर्वाधिक उपयोगी रहा है। यूनानी लोग गणित को न केवल संख्याओं और दिक् (स्पेस) का बल्कि [[खगोलविज्ञान]] और [[संगीत]] का भी अध्ययन मानते थे।
उदाहरण के लिये [[तरल यांत्रिकी]] में गणित का उपयोग करने से एक हल्का एवं कम ऊर्जा से की खपत करने वाला [[वायुयान]] की डिजाइन की जा सकती है।
 
आज के 4000 वर्ष पहले [[बेबीलोन]] तथा [[मिस्र की सभ्यता|मिस्र सभ्यताएँ]] गणित का इस्तेमाल [[पंचांग]] (कैलेंडर) बनाने के लिए किया करती थीं जिससे उन्हें पूर्व जानकारी रहती थी कि कब फसल की बुआई की जानी चाहिए या कब [[नील नदी]] में बाढ़ आएगी। [[अंक गणित]] का प्रयोग व्यापार में रुपयों-पैसों और वस्तुओं के विनिमय या हिसाब-किताब रखने के लिए किया जाता था। ज्यामिति का इस्तेमाल खेतों के चारों तरफ की सीमाओं के निर्धारण तथा पिरामिड जैसे स्मारकों के निर्माण में होता था।
 
अपने दैनिक जीवन में रोजाना ही हम गणित का इस्तेमाल करते हैं-उस वक्त जब समय जानने के लिए हम घड़ी देखते हैं, अपने खरीदे गए सामान या खरीदारी के बाद बचने वाली रेजगारी का हिसाब जोड़ते हैं या फिर फुटबाल टेनिस या क्रिकेट खेलते समय बनने वाले स्कोर का लेखा-जोखा रखते हैं।
 
व्यवसाय और उद्योगों से जुड़ी लेखा संबंधी संक्रियाएं गणित पर ही आधारित हैं। बीमा (इंश्योरेंस) संबंधी गणनाएं तो अधिकांशतया [[ब्याज]] की [[चक्रवृद्धि व्याज|चक्रवृद्धि दर]] पर ही निर्भर है। [[जलयान]] या [[विमान]] का चालक मार्ग के दिशा-निर्धारण के लिए [[ज्यामिति]] का प्रयोग करता है। [[सर्वेक्षण]] का तो अधिकांश कार्य ही [[त्रिकोणमिति]] पर आधारित होता है। यहां तक कि किसी चित्रकार के आरेखण कार्य में भी गणित मददगार होता है, जैसे कि संदर्भ (पर्सपेक्टिव) में जिसमें कि चित्रकार को त्रिविमीय दुनिया में जिस तरह से इंसान और वस्तुएं असल में दिखाई पड़ते हैं, उन्हीं का तदनुरूप चित्रण वह समतल धरातल पर करता है।
 
[[संगीत]] में [[स्वरग्राम]] तथा [[संनादी]] (हार्मोनी) और प्रतिबिंदु (काउंटरपाइंट) के सिद्धांत गणित पर ही आश्रित होते हैं। गणित का विज्ञान में इतना महत्व है तथा विज्ञान की इतनी शाखाओं में इसकी उपयोगिता है कि गणितज्ञ [[एरिक टेम्पल बेल]] ने इसे ‘विज्ञान की साम्राज्ञी और सेविका’ की संज्ञा दी है। किसी भौतिकविज्ञानी के लिए अनुमापन तथा गणित का विभिन्न तरीकों का बड़ा महत्व होता है। रसायनविज्ञानी किसी वस्तु की [[अम्लीयता]] को सूचित करने वाले [[पी एच]] (pH) मान के आकलन के लिए [[लघुगणक]] का इस्तेमाल करते हैं। कोणों और क्षेत्रफलों के अनुमापन द्वारा ही खगोलविज्ञानी सूर्य, तारों, चंद्र और ग्रहों आदि की गति की गणना करते हैं। प्राणीविज्ञान में कुछ जीव-जन्तुओं के वृद्धि-पैटर्नों के विश्लेषण के लिए [[विमीय विश्लेषण]] की मदद ली जाती है।
 
जैसे-जैसे खगोलीय तथा काल मापन संबंधी गणनाओं की प्रामाणिकता में वृद्धि होती गई, वैसे-वैसे नौसंचालन भी आसान होता गया तथा [[क्रिस्टोफर कोलम्बस]] और उसके परवर्ती काल से मानव सुदूरगामी नए प्रदेशों की खोज में घर से निकल पड़ा। साथ ही, आगे के मार्ग का [[नक्शा]] भी वह बनाता गया। गणित का उपयोग बेहतर किस्म के समुद्री जहाज, रेल के इंजन, मोटर कारों से लेकर हवाई जहाजों के निर्माण तक में हुआ है। [[राडार]] प्रणालियों की अभिकल्पना तथा चांद और ग्रहों आदि तक [[अन्तरिक्ष यान]] भेजने में भी गणित से काम लिया गया है।
 
== व्यावहारिक गणित के कुछ क्षेत्र ==