"आर्कीमिडीज सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
{{सांतत्यक यांत्रिकी}}
[[चित्र:Submerged-and-Displacing.svg|right|thumb|220px|आर्कीमिडीज सिद्धांत का उदाहरण : दूसरी परखनली में जो अतिरिक्त आयतन दिख रहा है वह डूबे हुए ठोस के आयतन के बराबर होगा। ठोस पर द्रव द्वारा ऊपर की ओर लगाया गया बल इस अतिरिक्त आयतन के द्रव के भार के बराबर होगा।]]
'''आर्कीमिडीज सिद्धान्त''' ({{lang-en|Archimedes's principle}}) [[भौतिक नियम]] है जिसके अनुसार-
: किसी तरल माध्यम में किसी वस्तु पर लगने वाला [[उत्प्लावन बल]] उस वस्तु द्वारा विस्थपित तरल के भार के बराबर होगा। अन्य शब्दो में, किसी तरल माध्यम में आंशिक या पूर्णतः डूबी हुई वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
 
: <math>E = m\;g = \rho_\text{f}\;g\;V\;</math>
 
या,
 
: <math>\mathbf E = - m\;\mathbf g = - \rho_\text{f}\;\mathbf g\;V\;</math>||left}}
 
आर्कीमिडीज सिद्धान्त [[तरल यांत्रिकी]] का एक महत्वपूर्ण और आधारभूत सिद्धांत है। इस सिद्धान्त का नामकरण इसके आविष्कारक [[आर्किमिडिज़]] के समान में किया गया।<ref name=acottLaw>{{Cite journal|author=Acott, Chris |title=The diving "Law-ers": A brief resume of their lives. |journal=[[South Pacific Underwater Medicine Society]] journal |volume=29 |issue=1 |year=1999 |issn=0813-1988 |oclc=16986801 |url=http://archive.rubicon-foundation.org/5990 |accessdate=2009-06-13 }}</ref>
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}