"ऊतकविज्ञान": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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समस्त सजीव प्राणियों की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक (functional) इकाई कोशिका (cell) होती है। इसी कोशिका के अध्ययन को कोशिका विज्ञान (cytology) कहा जाता है। कोशिकाओं के पुंजों (groups) से ऊतकों और ऊतकों से अंगों की रचना होती हैं। ऊतकों की संरचना का अध्ययन करनेवाले विज्ञान को औतिकी तथा अंगों की संरचना का अध्ययन करनेवाले विज्ञान को शारीर कहते हैं। ऊतिकी तथा कोशिका विज्ञान के अध्ययनों के कारण शरीर के दुर्भेद्य रहस्यों का भेदन होता गया। इन दोनों के संमिलित अध्ययन से ऊतिकी-रोग-विज्ञान (histopathology) का विकास हुआ।
सन् 1932 में नॉल एवं रस्का ने [[इलेक्ट्रान
हेलेन डीन के मतानुसार इस प्रकार की अध्ययनविधियों की तीन प्रमुख कोटियाँ हैं:
*(2) लिंगरस्ट्रोम तथा लैंग द्वारा विकसित अनस्थायीकृत (undixed) तथा आलग्न विच्छेदों (frozen sections) की जैवरासायनिक क्रियाओं (biological activities) की माप इस विधि की दूसरी विशेषता है।
*(3) अंत में, इस विधि द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कोशिकाओं के एकल घटकों (isolated constituents) की क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इस विधि को बेन्स्ले ने विकसित किया था। इसके अंतर्गत कोशिकाओं के केंद्रकों (nuclei), माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) स्रावी कणिकाओं (secietory granules) आदि को पृथक करके उनकी रासायनिक तथा एंजाइमी (enzymatically) परीक्षाएँ की जाती हैं।
बेली की ऊतिकी विषय पर लिखी पुस्तक में ऊतक विज्ञान के साथ ही कोशिका वैज्ञानिक अध्ययन पर भी बल दिया गया है। बेली के मतानुसार, ''चूँकि ऊतक-विज्ञान संरचना संबंधी अध्ययन (structural science) है और विच्छेदन (disection) द्वारा प्राप्त शरीररचना संबंधी ज्ञान की पूर्ति करता है, अत: इसके शरीर-क्रिया-विज्ञान (physiology) तथा रोगविज्ञान (pathology) से घनिष्ठ संबंध पर भी बल देना आवश्यक है।'' (बेलीज़ टेक्स्ट बुक ऑव हिस्टोलॉजी, संशोधक विल्फ़ेड एम. कोपेनहावर एवं डोरोथी डी. जॉनसन, विलियम्स ऐंड विल्किन्स कं. बाल्टीमोर, 14वीं आवृत्ति, 1958)। इनके मतानुसार भी ऊतक विज्ञान का आधार कोशिकाशारीर (cell anatomy) अथवा [[कोशिकाविज्ञान]] (cytology) ही है।
उपर्युक्त विवरण से यह प्रकट होता है कि कोशिकाविज्ञान तथा ऊतकविज्ञान का एक साथ अध्ययन किया जाना चाहिए। चूँकि कोशिकाएँ अतिसूक्ष्म संरचनाएँ होती हैं, अत: हम ऊतक विज्ञान को सूक्ष्मशारीर (microscopic anatomy) का ही पर्याय मानकर ऊतिकी का अध्ययन करेंगे। चूँकि ऊतक कोशिकाओं द्वारा ही बने होते हैं, अत: ऊतिकी का अध्ययन हम कोशिकाओं के ही माध्यम से करेंगे।
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