"रॉबर्ट बॉयल": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
बॉयल का जन्म [[आयरलैंड]] के मुंस्टर प्रदेश के लिसमोर कांसेल में हुआ था। घर पर इन्होंने [[लैटिन]] और [[फ्रेंच]] भाषाएँ सीखीं और [[ईटन]] में तीन वर्ष अध्ययन किया। 1638 ई. में इन्होंने फ्रांस की यात्रा की और लगभग एक वर्ष [[जेनेवा]] में भी अध्ययन किया। [[फ्लोरेंस]] में इन्होंने [[गैलिलियों]] के ग्रंथों का अध्ययन किया। 1644 ई. में जब ये [[इंग्लैंड]] पहुँचे, तो इनकी मित्रता कई वैज्ञानिकों से हो गई। ये लोग एक छोटी सी गोष्ठी के रूप में, और बाद को [[ऑक्सफोर्ड]] में, विचार-विनियम किया करते थे। यह गोष्ठी ही आज की जगत्प्रसिद्ध रॉयल सोसायटी है। 1646 ई. से बॉयल का सारा समय वैज्ञानिक प्रयोगों में बीतने लगा। 1654 ई. के बाद ये ऑक्सफोर्ड में रहे और यहँ इनका परिचय अनेक विचारकों एवं विद्वानों से हुआ। 14 वर्ष ऑक्सफोर्ड में रहकर इन्होंने वायु पंपों पर विविध प्रयोग किए और वायु के गुणों का अच्छा अध्ययन किया। वायु में ध्वनि की गति पर भी काम किया। बॉयल के लेखों में इन प्रयोगों का विस्तृत वर्णन है। धर्मसाहित्य में भी इनकी रुचि थी और इस संबंध में भी इन्होंने लेख लिखे। इन्होंने अपने खर्च से कई भाषाओं में बाइबिल का अनुवाद कराया और ईसाई मत के प्रसार के लिए बहुत सा धन भी दिया।
[[चित्र:Boyle air pump.jpg|right|thumb|300px|बायल का वायु इंजनपम्प]]
रॉबर्ट बॉयल की सर्वप्रथम प्रकाशित वैज्ञानिक पुस्तक ''न्यू एक्सपेरिमेंट्स, फ़िज़िको मिकैनिकल, टचिंग द स्प्रिंग ऑव एयर ऐंड इट्स एफेक्ट्स'', वायु के संकोच और प्रसार के संबंध में है। 1663 ई. में रॉयल सोसायटी की विधिपूर्वक स्थापना हुई। बॉयल इस समय इस संस्था के सदस्य मात्र थे। बॉयल ने इस संस्था से प्रकाशिल शोधपत्रिका "फिलोसॉफिकल ट्रैंजैक्शन्स" में अनेक लेख लिखे और 1680 ई. में ये इस संस्था के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। पर शपथसंबंधी कुछ मतभेद के कारण इन्होंने यह पद ग्रहण करना अस्वीकार किया। कुछ दिनों बॉयल की रुचि कीमियागिरी में भी रही और अधम धातुओं को उत्तम धातुओं में परिवर्त्तित करने के संबंध में भी इन्होंने कुछ प्रयोग किए। चतुर्थ हेनरी ने कीमियागिरी के विरुद्ध कुछ कानून बना रखे थे। बॉयल के यत्न से ये कानून 1689 ई. में उठा लिए गए।