"तुलनात्मक शिक्षा": अवतरणों में अंतर

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चूँकि इसका लक्ष्य शिक्षा-सुधार-माध्यम द्वारा समाज का रूपांतर करना है। इस विषय का अध्ययन वर्तमान अंतरराष्ट्रीय युग में उत्तरोत्तर बल पकड़ता जा रहा है। तुलनात्मक शिक्षा राष्ट्रीय संस्थानों का विस्तृत व्योरा देती है। शिक्षा समाज का दर्पण है और साथ ही सामाजिक कसौटी भी। शिक्षाध्ययन समाज का वास्तविक चित्र ज्ञात करा देता है और उसका मूल्यांकन भी। इस विषय के मुख्य कार्य हैं :
 
:(1) सामाजिक सुधार का रास्ता खोलना एवं सामाजिक पुनर्निर्माण द्वारा समाज का रूपांतर करना जिसका अंतिम लक्ष्य समाज का उन्नयन है।
 
:(2) निजी शिक्षा संस्थाओं का निष्पक्ष मूल्यांकन करना, शैक्षिक समस्याओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं उनके कारणों की ओर ध्यान केंद्रित करना, साथ ही अन्य देशों की समस्या-समाधान-युक्तियों से स्वदेशीय शिक्षा समस्याओं के समाधान की सूझ विकसित करना।
 
:(3) शिक्षाविकास की संभावनाओं तथा संभाव्यताओं का दिग्दर्शन कराना एवं भविष्य के संभावित परिवर्तनों का महत्व दर्शाते हुए, उनके अनुकूल शिक्षा को ढालने के ढंग सुझाना।
 
:(4) किसी देश की शिक्षाप्रणाली का मूल्यांकन उसकी पृष्ठभूमि में कहाँ तक हो सकता है इसका पता लगाना। शैक्षिक समस्याएँ भी समाज से आबद्ध हैं। विभिन्न देशों की समस्याएँ अपनी रूपरेखा रखती हैं, अतएव उनका निदान भी समाजगत है। दूसरे देशों के शिक्षा अध्ययन से केवल संकेत मिल सकते हैं।
 
:(5) यह ज्ञात करना कि विभिन्न देशों के शिक्षा संस्थानों एवं प्रणालियों का एक दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
 
:(6) शिक्षा को प्रभावित करनेवाले प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभावों को समझना।
 
:(7) अंतरराष्ट्रीयता की भावना को बल देना।
 
== इतिहास ==