"अष्टाध्यायी": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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== पाणिनीय व्याकरण के चार भाग ==
*'''(ख) शिवसूत्र या माहेश्वर सूत्र''' - यह [[प्रत्याहार]] बनाने में सहायक होता है। प्रत्याहार के प्रयोग से व्याकरण के नियम संक्षिप्त रूप में पूरी स्पष्टता से कहे गये हैं।▼
▲यह [[प्रत्याहार]] बनाने में सहायक होता है। प्रत्याहार के प्रयोग से व्याकरण के नियम संक्षिप्त रूप में पूरी स्पष्टता से कहे गये हैं।
* '''(ग) धातुपाठ''' - इस भाग में लगभग २००० धातुओं की सूची दी गयी है। इन धातुओं को विभिन्न वर्गों में रखा गया है।▼
▲इस भाग में लगभग २००० धातुओं की सूची दी गयी है। इन धातुओं को विभिन्न वर्गों में रखा गया है।
== पाणिनीय व्याकरण की प्रमुख विशेषताएँ ==
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