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[[चित्र:പ്രമാണം:കെ.എം. പണിക്കർ.jpg|right|thumb|300px|कावालम् माधव पणिक्कर]]
'''कावालम माधव पणिक्कर''' (३ जून १८९५ - १० दिसम्बर, १९६३) [[भारत]] के विद्वान, [[पत्रकार]], [[इतिहास]]कार, प्रशासक तथा [[राजनय]]ज्ञ थे। वे '''सरदार के एम पणिक्कर''' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं।
 
==परिचय==
भारत के आधुनिक राजनयज्ञों में सरदार के0एम0 पणिक्कर के नाम का उल्लेख अवश्य किया जाता है। पणिक्कर [[चीन]] में लम्बे समय तक [[भारत]] के [[राजदूत]] रहे। उनका मानना था कि राजनय का जन्म यूरोप में आधुनिक राज्यों के जन्म से सम्बन्धित है। राजनय की परिभाषा देते हुए पणिक्कर ने कहा, ”अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रयुक्त राजनय अपने हितों को दूसरे देशों से अग्रिम रखने की एक कला है।“ ("Diplomacy used in relation to international politics is the art of forwarding one is interest in relation to other countries.") राजनय एक कला है जिसे अपनाकर विश्व के राज्य अपने पारस्परिक सम्बन्धों को बढ़ाते हुए अपने हित साधना करते हैं।
 
पणिक्कर के अनुसार राजनयज्ञ ”एक देश का दूसरे देश में स्थित आँख और कान है।“ कोई भी देश अपने राजनयज्ञों के माध्यम से दूसरे देश की घटनाओं, नीतियों और दृष्टिकोण के बारे में जानकारी प्राप्त कर अपनी विदेश नीति को आवश्यक मोड़ देता रहता है। बहुत से विचारकों ने चातुर्य, कुशलता, कपट आदि को राजनयिक गुण माना है जबकि पणिक्कर के अनुसार धूर्तता, कपट आदि से पूर्ण राजनय अपने देश के प्रति दूसरे देशों की शुभ कामना प्राप्त करने की दृष्टि से प्रेरित होता है और कपट आदि इस उद्देश्य के मार्ग में खतरनाक साधन है। दूसरे देश की शुभकमाना, प्राप्ति के लक्ष्य की पूर्ति चार प्रकार से अधिक अच्छी तरह हो सकती है-दूसरे देश उस देश की नीतियों को ठीक प्रकार से समझें और उसके प्रति सम्मान की भावना रखें, वह देश दूसरे देशों की जनता के न्यायोचित हितों को समझे एवं सर्वोपरि माने तथा वह ईमानदारी से व्यवहार करे। आप बहुत से लोगों को सदा के लिए धोखे में नहीं रख सकते। जब देश की नीति की असलियत जाहिर हो जायेगी तो विश्व-समाज में उस देश के स्तर को धक्का पहुंचेगा। पणिक्कर का मत है कि व्यक्तिगत जीवन की भाँति अन्तर्राष्ट्रीय जीवन में भी ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।