"संचरण (यांत्रिकी)": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Stove Erdholländer innen.JPG|right|thumb|300px|पवनचक्की में शक्ति संचरण]]
शक्ति का यांत्रिक संचरण पट्टे (belt) या रज्जु (rope) की सहायता से शैफ्ट (shaft) द्वारा, अथवा यंत्रिचक्र (wheel gearing) और जंजीर (chain) की सहायता से होता है। परिस्थिति के अनुसार शक्ति को संचारित करने के लिए ये तरीके अलग अलग, या एक दूसरे के साथ, व्यवहृत किए जाते हैं। मूल चालक के अनुसार शक्तिसंचरण के यांत्रिक उपकरणों का अभिकल्प एवं निर्माण किया जाता है।▼
[[चित्र:Line shaft.jpg|right|thumb|300px|लाइन शाफ्ट]]
▲[[शक्ति]] का यांत्रिक संचरण [[पट्टा|पट्टे]] (belt) या [[रस्सी|रज्जु]] (rope) की सहायता से शैफ्ट (shaft) द्वारा, अथवा [[यंत्रिचक्र]] (wheel gearing) और [[जंजीर]] (chain) की सहायता से होता है। परिस्थिति के अनुसार शक्ति को संचारित करने के लिए ये तरीके अलग अलग, या एक दूसरे के साथ, व्यवहृत किए जाते हैं। मूल चालक के अनुसार शक्तिसंचरण के यांत्रिक उपकरणों का अभिकल्प (डिजाइन) एवं निर्माण किया जाता है।
मूल चालक के [[गतिपालक चक्र]] (flywheel) पर लगे हुए पट्टे द्वारा, शक्ति को रेखा शैफ्ट (line shaft) में संचारित किया जाता है। रेखा शैफ्ट पर अभिकल्प के अनुसार घिरनियाँ (pulleys) लगी रहती हैं। उन घिरनियों पर लगे हुए पट्टे द्वारा शक्ति को रेखाशैफ्ट से विभिन्न यंत्रों में संचारित किया जाता है। इस प्रकार की प्रणाली में सबसे बड़ा अवगुण यह है कि किसी भी कारणवश रेखाशैफ्ट का चलना बंद होते ही सभी यंत्र, जिन्हें रेखाशैफ्ट से शक्ति संचरित की जाती है, बेकार हो जाते हैं।▼
▲मूल चालक के [[गतिपालक चक्र]] (flywheel) पर लगे हुए पट्टे द्वारा, शक्ति को रेखा शैफ्ट (line shaft) में संचारित किया जाता है। रेखा शैफ्ट पर अभिकल्प के अनुसार [[घिरनी|घिरनियाँ]] (pulleys) लगी रहती हैं। उन घिरनियों पर लगे हुए पट्टे द्वारा शक्ति को रेखाशैफ्ट से विभिन्न यंत्रों में संचारित किया जाता है। इस प्रकार की प्रणाली में सबसे बड़ा अवगुण यह है कि किसी भी कारणवश रेखाशैफ्ट का चलना बंद होते ही सभी यंत्र, जिन्हें रेखाशैफ्ट से शक्ति संचरित की जाती है, बेकार हो जाते हैं।
इस प्रकार के शक्तिसंचरण का मात्रात्मक विश्लेषण करने के लिए इंजन के क्रैंक शेफ्ट को संचरण का आरंभ बिंदु एवं यंत्र के प्रथम गतिमान शैफ्ट को संचरण का अंतिम बिंदु मान लिया जाता है। यह अनुमान विशिष्ट यत्र के लिए उपयुक्त है। मान लिया कि इंजन की गति '''N''' परिक्रमण (revolutions) प्रति मिनट है। इस गति पर चलते हुए इंजन क्रैंकशैफ्ट पर लगातार बल आधूर्ण (torque) डालता रहता है। मान लिया कि बल आधूर्ण की मात्रा '''T''' किलोग्राम प्रति मीटर है। इस अवस्था में इंजन की कोणीय (angular) गति '''w''', का मूल्य होगा '''2 x पाई x N / 60''' । यहाँ '''w''' की ईकाई रेडियन प्रति सेकंड है। अत: इंजन क्रैंक शैफ्ट द्वारा किए गए कार्य की दर '''wT''' किलोग्राम प्रति मीटर प्रति सेकंड है. सुविधा के लिए मान लिया, क्रैंक शैफ्ट से प्राप्त संपूर्ण शक्ति एक ही यंत्र को संचरित होती है। मान लिया, उस यंत्र पर डाला जानेवाला बल आघूर्ण '''T1''' किलोग्राम प्रति मीटर है और '''w1''' रेडियन प्रति सेकंड यंत्र की कोणीय गति है, तब उस यंत्र द्वारा प्राप्त ऊर्जा की दर होगी '''w1T1''' किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड। घर्षण एवं अन्य अवरोधों को अभिभूत (overcome) करने के लिए ऊर्जा का कुछ अंश संचरणयंत्र द्वारा अवशोषित (absorbed) होता है। यदि ऐसा नहीं हो, तो यंत्र द्वारा ऊर्जा अवशोषण की दर मूल चालक द्वारा उत्पन्न ऊर्जा की दर के समतुल्य होगी। किंतु व्यवहार में ऐसा नहीं होता है.
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=== दंति या गियर चक्र ===
[[चित्र:Gears large.jpg|right|thumb|
एक शैफ्ट से दूसरे शैफ्ट को शक्ति संचारण करने के लिए [[दंतिचक्र]] का व्यवहार होता है। दो शैफ्ट समांतर अवस्था में रखे जाते हैं, या एक दूसरे से कुछ कोण पर झुके रहते हैं। प्रथम अवस्थावाले चक्र [[स्पर गियर]] (spur gear) तथा दूसरी अवस्थावाले चक्र [[बेवेल गियर]] (Bevel gear) कहलाते हैं। गियर का डिजाइन बहुधा स्थिर गति अनुपात के लिए किया जाता है किंतु कभी-कभी विशिष्ट यंत्रों के लिए परिवर्ती गति के अनुमान के आधार पर भी गियर का डिजाइन बनाना होता है। शैफ्ट की तरह दंतिचक्र का परिमाण भी बलआघूर्ण पर निर्भर करता है।
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=== शृंखला या जंजीर ===
[[चित्र:Chain.gif|right|thumb|150px|शृंखला द्वारा शक्ति संचरण]]
शक्ति का संचरण करनेवाले यंत्रों में शृंखला का स्थान भी महत्वपूर्ण है। इसके मुख्य गुण ये हैं :
*(1) अत्यंत उच्च दक्षता,
*(2) उच्च गति की प्राप्ति *(3) उत्क्रमणीयता (reversibility), *(4) विस्तृत शक्तिप्रेषण सीमा,
*(6) ऊष्मा या शीत से प्रभावित नहीं होना। विभिन्न प्रकार की शृंखलाएँ, जो व्यवहार में आती हैं, उनमें से मुख्य ये हैं :
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