"अनसूया": अवतरणों में अंतर

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अनसूया ने [[राम]], [[सीता]] और [[लक्ष्मण]] का अपने आश्रम में स्वागत किया था। उन्होंने सीता को [[उपदेश]] दिया था और उन्हें अखंड सौंदर्य की एक ओषधि भी दी थी। सतियों में उनकी गणना सबसे पहले होती है। [[कालिदास]] के '[[शाकुंतलम्]]' में अनसूया नाम की शकुंतला की एक सखी भी कही गई है।
 
== कथा ==
एक बार ब्रह्मा, विष्णु व महेश उनकी सतीत्व की परीक्षा करने की सोची, जो की अपने आप में एक रोचक कथा है।