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[[चित्र:Carl von Linné.jpg|thumb|[[कार्ल लीनियस]] ने सबसे पहले इस दो नामों की नामकरण प्रणाली को उपयोग करने के लिए चुना था।]]
[[जीव विज्ञान]] में, '''द्विपद नामकरण''' प्रजातियों के नामकरण की एक औपचारिक प्रणाली है। [[कार्ल लीनियस]] नामक एक [[स्वीडन|स्वीडिश जीव वैज्ञानिक]] ने सबसे पहले इस दो नामों की नामकरण प्रणाली को उपयोग करने के लिए चुना था। उन्होंने इसके लिए पहला नाम [[वंश]] (जीनस) का और दूसरा प्रजाति विशेष का विशिष्ट नाम को चुना था। उदाहरण के लिए, मानव का वंश '''होमो''' है जबकि उसका विशिष्ट नाम '''सेपियंस''' है, तो इस प्रकार मानव का द्विपद या वैज्ञानिक नाम '''होमो साप्येन्स्''' ('''Homo sapiens''') है ।है। रोमन लिपि मे लिखते समय दोनो नामों मे से वंश के नाम का पहला अक्षर बड़ा (कैपिटल) होता है जबकि विशिष्ठ नाम का पहला अक्षर छोटा (स्माल) ही होता है।
 
== महत्व ==
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स्वर के ऊपर समतल रेखा (Macron) का अर्थ होता था कि स्वर दीर्घ है, पर इसे लिखना ज़रूरी नहीं माना जाता था ।था। बाद में यूनानी भाषा के उधार के शब्द लाने के लिये [[यूनानी लिपि]] से ये अक्षर लिये गये : K (क्), Y (य् / इउ (≈ इ)), Z (ज़् / द्ज़्) । [[व्यंजन]] उअ के लिये V प्रयुक्त किया जाने लगा और स्वर उ के लिये U ।U। इसके भी कुछ बाद J (य्) और W (व् / उ) जुड़े ।जुड़े। छोटे अक्षरों के रूप (a, b, c, d, e, f, g, h, i, j, k, l, m, n, o, p, q, r, s, t, u, v, w, x, y, z) मध्ययुग में आये ।आये। पश्चिम और मध्य [[यूरोप]] की सारी भाषाओं ने लिखावट के लिये [[रोमन लिपि]] अपना ली ।ली।
 
== कुछ जन्तुओं के वैज्ञानिक नाम ==