"देवराज यज्वा": अवतरणों में अंतर

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देवराज यज्वा ने अपनी व्याख्या में निघंटु के प्रत्येक शब्द की व्याख्या की है। ये प्राय: अपने पूर्ववर्ती [[स्कंदस्वामी]], [[माधव]] आदि भाष्यकारों के पाठों को प्रस्तुत करते हैं विशेषत: जहाँ उनसे उनका मतभेद होता है।
 
== बाहरी कड़ियाँ==
 
[[श्रेणी:संस्कृत साहित्यकार]]