"भागीदारी": अवतरणों में अंतर
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'''उदाहरण''' मान लीजिए कि आप अपने इलाके में एक रेस्तराँ खोलना चाहते हैं। इसके लिए आपको पूँजी, काम करने वाले लोग, स्थान, बर्तन और कुछ अन्य वस्तुओं की आवश्यकता होगी। आपको लगा कि आप इसके लिए आवश्यक सारा धन नहीं जुटा पाएंगे और न ही आप इस काम को अकेले कर पाएंगे। इसलिए आपने अपने दोस्तों से बात की और उनमें से तीन व्यक्ति आपके साथ मिलकर इस रेस्तराँ को चलाने के लिए तैयार हो गए। वे तीनों रेस्तराँ चलाने के लिए कुछ पूँजी और कुछ दूसरी वस्तुओं की व्यवस्था करने के लिए भी तैयार हो गए। इस प्रकार आप चारों मिलकर रेस्तराँ के स्वामी बने और होने वाले लाभ हानि को भी आपस में बांटने के लिए तैयार हो गए।
== व्यावसायिक संगठन के साझेदारी स्वरूप की विशेषताएँ==
* '''दो या अधिक सदस्य''' : साझेदारी व्यवसाय के लिए कम से कम दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। परंतु बैंकिंग व्यवसाय में यह संख्या 10 से और साधारण व्यवसाय में 20 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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* '''व्यापार की निरंतरता''' : साझेदारी फर्म के किसी साझेदार के मरने, पागल या दिवालिया हो जाने से फर्म का अंत हो जाता है। इसके अलावा भी फर्म के सभी साझेदार जब चाहें साझेदारी समाप्त कर फर्म भंग कर सकते हैं।
== साझेदारी व्यवसाय के लाभ ==
साझेदारी व्यवसाय के कुछ लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं :
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* '''हानियों का विभाजन''' : साझेदारी व्यवसाय में सभी साझेदार मिल कर जोखिम उठाते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी साझेदारी फर्म में तीन साझेदार हैं और लाभों को बराबर विभाजित करते हैं तथा किसी समय फर्म को 12,000 रूपए की हानि होती है तो तीनों साझेदार चार-चार हजार की हानि का बोझ उठाएंगें।
== साझेदारी व्यवसाय की सीमाएँ==
इन सभी लाभों के बावजूद साझेदारी फर्म की कुछ सीमाएं भी होती हैं।
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* '''शेयरों का हस्तान्तरण नहीं''' : यदि आप किसी साझेदारी फर्म में हिस्सेदारी हैं तो दूसरे साझेदारों की सहमति के बिना आप किसी बाहरी पक्ष को अपना हित हस्तांतरित नहीं कर सकते। ऐसे में उस साझेदार को असुविध होती है, जो फर्म से अलग होना चाहता है या अपना शेयर दूसरों को बेचना चाहता है।
== सीमित दायित्व साझेदारी ==
{{मुख्य|सीमित देयता भागीदारी}}
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* समय की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए संसद ने ‘सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम, 2008’ पारित किया जिसे 7 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली।
=== सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम 2008 की महत्वपूर्ण विशेषताएँ===
* सीमित दायित्व साझेदारी एक निगमित संस्था होगी जिसका अपने साझेदारों से पृथक वैधनिक अस्तित्व होगा। सीमित दायिव साझेदारी स्वरूप बनाने के लिए कोई भी दो अथवा अधिक व्यक्ति मिलकर लाभ को दृष्टि में रखते हुए कानून सम्मत व्यवसाय चलाने के लिए निगमन प्रपत्रा में अपने नामों को सम्मिलित करके पंजीयक के पास निगमन प्रपत्रा जमा कर सकते हैं। सीमित दायित्व साझेदारी का शाश्वत अस्तित्व होगा।
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* प्रत्येक सीमित दायित्व साझेदारी में न्यूनतम दो साझेदार आवश्यक होंगे तथा न्यूनतम दो व्यक्तिगत साझेदार होंगे और उनमें से एक भारत का निवासी होना चाहिए। विशिष्ट कार्य हेतु साझेदार के अधिकर एवं कर्त्तव्य अधिनियम के अनुसार होने चाहिए।
== इन्हें भी देखें==
*[[सीमित देयता भागीदारी]]
*[[एकल स्वामित्व]]
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