"मुहावरा": अवतरणों में अंतर

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=== लक्षणा का प्रयोग होने से ===
 
शब्दों की तीन शक्तियां होती हैं : (क) अभिधा, (ख) लक्षणा, और (ग) व्यंजना। जब किसी शब्द या शब्द-समूह का सामान्य अर्थ में प्रयोग होता है, तब वहाँ उसकी अभिधा शक्ति होती है। अभिधा द्वारा अभिव्यक्ति अर्थ को अभिधेयार्थ या मुख्यार्थ कहते हैं; जैसे ‘सिर पर चढ़ना’ का अर्थ किसी चीज को किसी स्थान से उठा कर सिर पर रखना होगा। परन्तु जब मुख्यार्थ का बोध न हो और रूढ़ि या प्रसिद्ध के कारण अथवा किसी विशेष प्रयोजन को सूचित करने के लिए, मुख्यार्थ से संबद्ध किसी अन्य अर्थ का ज्ञान हो तब जिस शक्ति के द्वारा ऐसा होता है उसे लक्षणा कहते हैं। यह शक्ति ‘अर्पित’ अर्थात् कल्पित होती है। इसीलिए ‘साहित्य-दर्पण’ में विश्वनाथ ने लिखा है :
 
:'''मुख्यार्थ बाधे तद्युक्तो यथान्योऽर्थ प्रतीयते।'''