"मित्रपक्ष शक्तियाँ": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Tehran Conference, 1943.jpg|thumb|230px|१९४३ के तेहरान सम्मलेन में मित्रपक्ष शक्तियों के तीन प्रमुख नेता - [[सोवियत संघ]] के [[जोसेफ़ स्टालिन]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के [[फ्रेंकलिन रोज़वेल्ट]] और [[ब्रिटेन]] के [[विंस्टन चर्चिल]]]]
'''मित्रपक्ष शक्तियाँ''' या '''ऐलाइड शक्तियाँ''' (<small>[[अंग्रेज़ी]]: Allied powers</small>) उन देशों का गुट था जिन्होनें [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] में [[ब्रिटेन]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] और [[सोवियत संघ]] का साथ दिया और [[अक्ष शक्तियों]] (ऐक्सिस शक्तियों) के ख़िलाफ़ लड़े। भिन्न मित्रपक्ष देश द्वितीय विश्वयुद्ध की मुठभेड़ में या तो इसलिए शामिल हुए क्योंकि उनपर अक्ष देश या देशों ने आक्रमण कर दिया, या उन्हें अपने ऊपर आक्रमण होने का डर था, या फिर उन्हें चिंता थी कि अक्ष शक्तियाँ अगर जीत गयी तो पूरी दुनिया पर हावी हो जाएँगी।<ref name="ww2hi">[http://worldwar2history.info/war/Allies.html The Allies], U. S. Army Center of Military History and World War II History, Accessed 17 Septemberसितंबर 2009</ref>
 
१ सितम्बर १९३९ में युद्ध की शुरआत में [[फ़्रांस]], [[पोलैंड]] और [[संयुक्त राजशाही]] (ब्रिटेन) ही मित्रपक्ष में थे। जल्द ही ब्रिटेन के कुछ अधीन देश - [[ऑस्ट्रेलिया]], [[कनाडा]], [[न्यू ज़ीलैंड]] और [[दक्षिण अफ़्रीका]] भी इस गुट में सम्मिलित हो गए। १९४१ के बाद मित्रपक्ष का नेतृत्व ब्रिटेन]], अमेरिका और सोवियत संघ ने मिलकर किया। [[भारत]] (जो [[ब्रिटिश राज]] के अधीन था), [[बेल्जियम]], [[यूनान]], [[मेक्सिको]], [[चेकोस्लोवाकिया]], [[नॉर्वे]], [[नेदरलैंड्ज़]], [[इथियोपिया]] और [[ब्राज़ील]] में मित्रपक्ष में थे। १९४५ में जाकर मित्रपक्ष शक्तियों की जीत होने पर अक्ष शक्तियों का गुट ख़त्म हो गया।