"देवीमाहात्म्य": अवतरणों में अंतर

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! संस्कृत श्लोक !! हिन्दी अनुवाद
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तुम्हीं तीनों गुणों को उत्पन्न करने वाली सबकी प्रकृति हो।<br />
भयंकर कालरात्रि, महारात्रि और मोहरात्रि भी तुम्हीं हो। ॥७८॥<br /><br />
 
 
तुम्हीं श्री, तुम्हीं ईश्वरी, तुम्हीं ह्री और तुम्हीं बोधस्वरूपा बुद्धि हो।<br />
लज्जा, पुष्टि, तुष्टि, शान्ति और क्षमा भी तुम्हीं हो। ॥७९॥<br /><br />
 
 
तुम खड्गधारिणी, घोर शूलधारिणी, तथा गदा और चक्र धारण करने वाली हो। <br />
तुम शंख धारण करने वाली, धनुष-वाण धारण करने वाली, तथा परिघ नामक अस्त्र धारण करती हो। ॥८०॥<br /><br />
 
 
तुम सौम्य और सौम्यतर हो। इतना ही नहीं, जितने भी सौम्य और सुन्दर पदार्थ हैं उन सबकी अपेक्षा तुम अधिक सुन्दर हो।<br />
पर और अपर - सबसे अलग रहने वाली परमेश्वरी तुम्हीं हो। ॥८१॥<br /><br />
 
 
सर्वस्वरूपे देवि ! कहीं भी सत्-असत् रूप जो कुछ वस्तुएँ हैं और उनकी सबकी जो शक्ति है, वह भी तुम्हीं हो<br />
ऐसी स्थिति में तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है?॥८२॥<br /><br />
 
 
जो इस जगत की सृष्टि, पालन और संहार करते हैं उन भगवान को भी <br />