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षट्खण्डागम‎, जैसा की नाम से ज्ञात होता है, छह भागों में विभाजित शास्त्र है। छह भाग हैं-
 
*१. जीव स्थान
 
*२. क्षुद्रक बंध
 
*३. बंधस्वामित्व
 
*४. वेदना
 
*५. वर्गणा
 
*६. महाबंध
 
प्रथम तीन भाग कर्म दर्शन की व्याख्या आत्मा के दृष्टीकोण से करते हैं, जो की बंधन का कारक है एवं अंतिम तीन भाग कर्म की प्रकृति और सीमाओं की चर्चा करते हैं।