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सम्पादन
अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) |
अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) |
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तीसरे प्रकार के मनोविक्षिप्त उल्लास-विषाद-मनोविक्षिप्ति हैं। वे बारी-बारी से उल्लास और विषाद की मनोदशा में रहते हैं। उल्लास की अवस्था में वे अत्यधिक चंचल हो उठते हैं, इधर उधर खूब दौड़ते हैं, अनेक लोगों से बात करते हैं, विभिन्न कामों में हाथ डालते हैं और खूब हँसते रहते हैं। इसके प्रतिकूल आचरण विषाद की अवस्था में होता है। इन विक्षिप्तों की मनोदशा इतनी असाधारण नहीं होती कि उनकी चिकित्सा ही न हो सके। मानसिक रोगों में मनोदशाओं का बदलते रहना, चाहे मनोदशा कितनी ही असाधारण क्यों न हो, रोगी के लिये कल्याणसूचक है।
=== मनोविदालिता ===
उपर्युक्त तीन प्रकार की मनोदशाओं से भिन्न जटिल मनोविक्षिप्ति है, जिसे [[
== मनोविक्षिप्ति का उपचार ==
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