"लोक सभा": अवतरणों में अंतर
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=== संसद मे राष्ट्रपति का अभिभाषण ===
यह सदैव मंत्रिपरिषद तैयार करती
अभिभाषण मे सरकार की उपलब्धियॉ तथा नीतियॉ का वर्णन तथा समीक्षा होती है
== वित्त व्यवस्था पर संसद का नियंत्रण ==
अनु 265 के अनुसार कोई भी कर कार्यपालिका द्वारा बिना विधि के अधिकार के न तो आरोपित किया जायेगा और न ही वसूला जायेगा। अनु 266 के अनुसार भारत की समेकित निधि से कोई धन व्यय /जमा भारित करने से पूर्व संसद की स्वीकृति जरूरी है। <br />
अनु 112 के अनुसार राष्ट्रपति भारत सरकार के वार्षिक वित्तीय लेखा को संसद के सामने रखेगा यह वित्तीय लेखा ही बजट है<br /
=== बजट ===
बजट सरकार की आय व्यय का विवरण पत्र है। <br />
1. अनुमानित आय व्यय जो कि भारत सरकार ने भावी वर्ष मे करना हो <br />
2. यह भावी वर्ष के व्यय के लिये राजस्व उगाहने का वर्णन करता है<br />
3. बजट मे पिछले वर्ष के वास्तविक आय व्यय का विवरण होता है <br />
बजट सामान्यत वित्तमंत्री द्वारा सामान्यतः फरवरी के आखरी दिन लोकसभा मे प्रस्तुत किया जाता है उसी समय राज्यसभा मे भी बजट के कागजात रखे जाते है यह एक धन बिल है।<br />
बजट में सामान्यतः-<br />
१- पिछले वर्ष के वास्तविक अनुमान,<br />
२- वर्तमान वर्ष के संशोधित अनुमान,<br />
३- आगामी वर्ष के प्रस्तावित अनुमान <br />
प्रस्तुत किए जाते है। अतः बजट का संबंध 3 वर्ष के आकडो़ से होता है।
=== कटौती प्रस्ताव ===
—बजट प्रक्रिया का ही भाग है केवल लोकसभा मे प्रस्तुत किया जाता है ये वे उपकरण है जो लोकसभा सदस्य कार्यपालिका पे नियंत्रण हेतु उपयोग लाते है ये अनुदानॉ मे कटौती कर सकते है इसके तीन प्रकार है<br />
1.'''नीति सबंधी कटौती'''--- इस प्रस्ताव का ल्क्ष्य लेखानुदान संबंधित नीति की अस्वीकृति है यह इस रूप मे होती है ‘-------‘ मांग को कम कर मात्र 1 रुपया किया जाता है यदि इस प्रस्ताव को पारित कर दिया जाये तो यह सरकार की नीति संबंधी पराजय मानी जाती है उसे तुरंत अपना विश्वास सिद्ध करना होता है<br />
2. '''किफायती कटौती'''--- भारत सरकार के व्यय को उससीमा तक कम कर देती है जो संसद के मतानुसार किफायती होगी यह कटौती सरकार की नीतिगत पराजय नहीं मानी जाती है<br />
3. '''सांकेतिक कटौती'''--- इन कटौतीयों का ल्क्ष्य संसद सदस्यॉ की विशेष शिकायतें जो भारत सरकार से संबंधित है को निपटाने हेतु प्रयोग होती है जिसके अंतर्गत मांगे गये धन से मात्र 100 रु की कटौती की जाती है यह कटौती भी नीतिगत पराजय नही मानी जाती है
=== लेखानुदान (वोट ओन अकाउंट) ===
अनु 116 इस प्रावधान का वर्णन करता है इसके अनुसार लोकसभा वोट ओन अकाउंट नामक तात्कालिक उपाय प्रयोग लाती है इस उपाय द्वारा वह भारत सरकार को भावी वित्तीय वर्ष मे भी तब तक व्यय करने की छूट देती है जब तक बजट पारित नही हो जाता है यह सामान्यत बजट का अंग होता है किंतु यदि मंत्रिपरिषद इसे ही पारित करवाना चाहे तो यही अंतरिम बजट बन जाता है जैसा कि 2004 मे एन.डी.ए. सरकार के अंतिम बजट के समय हुआ था फिर बजट नयी यू.पी.ए सरकार ने पेश किया था <br />
'''वोट ओन क्रेडिट''' [प्रत्यानुदान] लोकसभा किसी ऐसे व्यय के लिये धन दे सकती है जिसका वर्णन किसी पैमाने या किसी सेवा मद मे रखा जा सक्ना संभव ना हो मसलन अचानक युद्ध हो जाने पे उस पर व्यय होता है उसे किस शीर्षक के अंतर्गत रखे?यह लोकसभा द्वारा पारित खाली चैक माना जा सकता है आज तक इसे प्रयोग नही किया जा सका है<br />
'''जिलेटीन प्रयोग'''—समयाभाव के चलते लोकसभा सभी मंत्रालयों के व्ययानुदानॉ को एक मुश्त पास कर देती है उस पर कोई चर्चा नही करती है यही जिलेटीन प्रयोग है यह संसद के वित्तीय नियंत्रण की दुर्बलता दिखाता है
== संसद मे लाये जाने वाले प्रस्ताव ==
=== अविश्वास प्रस्ताव ===
लोकसभा के क्रियांवयन नियमॉ मे इस प्रस्ताव का वर्णन है विपक्ष यह प्रस्ताव लोकसभा मे मंत्रिपरिषद के विरूद्ध लाता है इसे लाने हेतु लोकसभा के 50 सद्स्यॉ का समर्थन जरूरी है यह सरकार के विरूद्ध लगाये जाने वाले आरोपॉ का वर्णन नही करता है केवल यह बताता है कि सदन मंत्रिपरिषद मे विश्वास नही करता है एक बार प्रस्तुत करने पर यह प्रस्ताव् सिवाय धन्यवाद प्रस्ताव के सभी अन्य प्रस्तावॉ पर प्रभावी हो जाता है इस प्रस्ताव हेतु पर्याप्त समय दिया जाता है इस पर् चर्चा करते समय समस्त सरकारी कृत्यॉ नीतियॉ की चर्चा हो सकती है लोकसभा द्वारा प्रस्ताव पारित कर दिये जाने पर मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को त्याग पत्र सौंप देती है संसद के एक सत्र मे एक से अधिक अविश्वास प्रस्ताव नही लाये जा सकते है<br />
'''विश्वास प्रस्ताव'''--- लोकसभा नियमॉ मे इस प्रस्ताव का कोई वर्णन नही है यह आवश्यक्तानुसार उत्पन्न हुआ है ताकि मंत्रिपरिषद अपनी सत्ता सिद्ध कर सके यह सदैव मंत्रिपरिषद लाती है इसके गिरजाने पर उसे त्याग पत्र देना पडता है
'''निंदा प्रस्ताव'''--- लोकसभा मे विपक्ष यह प्रस्ताव लाकर सरकार की किसी विशेष नीति का विरोध/निंदा करता है इसे लाने हेतु कोई पूर्वानुमति जरूरी नही है यदि लोकसभा मे पारित हो जाये तो मंत्रिपरिषद निर्धारित समय मे विश्वास प्रस्ताव लाकर अपने स्थायित्व का परिचय देती है है उसके लिये यह अनिवार्य है।
'''कामरोको प्रस्ताव'''--- लोकसभा मे विपक्ष यह प्रस्ताव लाता है यह एक अद्वितीय प्रस्ताव है जिसमे सदन की समस्त कार्यवाही रोक कर तात्कालीन जन मह्त्व के किसी एक मुद्दे को उठाया जाता है प्रस्ताव पारित होने पर सरकार पे निंदा प्रस्ताव के समान प्रभाव छोडता है।
== सन्दर्भ ==
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