"खुदीराम बोस": अवतरणों में अंतर

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== अंग्रेज अत्याचारियों पर पहला बम ==
३० अप्रैल १९०८ को ये दोनों नियोजित काम के लिये बाहर निकले और किंग्जफोर्ड के बँगले के बाहर घोडागाडी से उसके आने की राह देखने लगे। बँगले की निगरानी हेतु वहाँ मौजूद [[पुलिस]] के गुप्तचरों ने उन्हें हटाना भी चाहा परन्तु वे दोनॉंदोनाँ उन्हें योग्य उत्तर देकर वहीं रुके रहे।
रात में साढे आठ बजे के आसपास क्लब से किंग्जफोर्ड की बग्घी के समान दिखने वाली गाडी आते हुए देखकर खुदीराम गाडी के पीछे भागने लगे। रास्ते में बहुत ही अँधेरा था। गाडी किंग्जफोर्ड के बँगले के सामने आते ही खुदीराम ने अँधेरे में ही आगे वाली बग्घी पर निशाना लगाकर जोर से बम फेंका। हिन्दुस्तान में इस पहले बम विस्फोट की आवाज उस रात तीन मील तक सुनाई दी और कुछ दिनों बाद तो उसकी आवाज इंग्लैंड तथा योरोप में भी सुनी गयी जब वहाँ इस घटना की खबर ने तहलका मचा दिया।
यूँ तो खुदीराम ने किंग्जफोर्ड की गाडी समझकर बम फेंका था परन्तु उस दिन किंग्जफोर्ड थोडी देर से क्लब से बाहर आने के कारण बच गया। दैवयोग से गाडियाँ एक जैसी होने के कारण दो यूरोपियन स्त्रियों को अपने प्राण गँवाने पडे। खुदीराम तथा प्रफुल्लकुमार दोनों ही रातों - रात नंगे पैर भागते हुए गये और २४ मील दूर स्थित वैनी रेलवे स्टेशन पर जाकर ही विश्राम किया।