"वैमानिक शास्त्र": अवतरणों में अंतर

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इसमें कुल ८ अध्याय और 3000 श्लोक हैं। पण्डित सुब्बाराय शास्त्री के अनुसार इस ग्रंथ के मुख्य जनक रामायणकालीन महर्षि [[भारद्वाज]] थे।
 
==विमानचालक के ३२ गुण==
इस ग्रन्थ में विमानचालक (पाइलॉट) के लिये ३२ गुण आवश्यक बताये गये हैं जो इस प्रकार हैं-
मांत्रिक, तान्त्रिक, कृतक, अन्तराल, गूढ, दृश्य, अदृश्य, परोक्ष, सनोचक, विस्तृत, विरूप परण, रूपान्तर, सुरूप, ज्योतिर्भाव, तमोनय, प्रलय, विमुख, तारा, महाशब्द विमोहन, लाङ्घन, सर्पगमन, चपल, सर्वतोमुख, परशब्दग्राहक, रूपाकर्षण, क्रियाग्रहण, दिक्प्रदर्शन, आकाशाकार, जलद रूप, स्तब्धक, कर्षण ।
 
== इन्हें भी देखें ==