"विकासात्मक मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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शिशुओ की दृष्टि प्रारंभिक दौर मे धुँधली होती है पर समय के साथ सुधरने लगती है। छह महीने हो जाने के बाद शिशु की दृष्टि अच्छी हो जाती है।सुनवाई दृष्टि के विपरीत, जन्म से पूर्व अच्छी तरह से विकसित है। शिशुओ एक ध्यानि से आती दिशा को पता लगाने मे काफी अच्छे है और १८ महीने से उनके सुनने की क्षमता एक वयस्क के लगभग बराबर है।नवजात शिशु गंध और स्वाद वरीयताओ के साथ जन्म लेता है। शिशु अलग अभिव्यक्ति दिख्लाता है जब उसको सुखद या अप्रिय गंध और स्वाद से प्रसतुत कराया जाता है।
स्पर्श और महसूस करना दोनो एसी समझ है जो पहले गर्भ मे विकसित हो जाती है।'''भाषा विकास:''' नवजात शिशु मानव के सभी भाषाओं की लगभग सभी ध्वनियों भेदहभाव करने की क्षमता के साथ पैदा होते है। छह महीने के आसपास के सारे शिशुओ अपनी भाषा मे स्वनिम के बीच अंतर कर सकते है पर अलग भाषाओं मे स्वनिम के बीच अंतर नही कर सकते। इस अवस्था मे शिशु प्रलाप करना शुरू करते हुए स्वविम का उत्पादन करते है।
'''शिशु अनुभूति:''' शिशु की अनुभूति को समझने के लिए 'जीन पियाजेट' एक प्रसिद्ध नामक विकासात्मक मनोविज्ञानी ने अनुभूति विकास के सिदधांत लिखे है। पियाजेट के अनुसार शिशुओ को दुनिया कि समझ और अनुभूति मोटर विकास के द्वारा हो सकती है और इसी के साथ वस्तु को छूने या पकडने से शिशु को वस्तु के बारे मे पता चलता है। पियाजेट यए भी कह्ते है कि शिशुओ को १८ सपताह से पह्ले वस्तुओ कि कोई समझ नही होती बल्कि शिशु उस वस्तु को बार बार देखने और समझने की कोशिश करता है।
 
==इन्हें भी देखें==