"वेदाङ्ग ज्योतिष": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 12:
* (३) [[अथर्ववेद]] ज्यौतिष शास्त्र - आथर्वणज्यौतिषम् : इसमें १६२ पद्य हैं।
 
इन तीनों ज्योतिषों के प्रणेता [[लगध]] नामक आचार्य हैं। यजुर्वेद के ज्योतिष के दो प्रामाणिक भाष्य भी प्राप्त होते हैं: एक सोमाकरविरचित प्राचीन भाष्य, द्वितीय [[सुधाकर द्विवेदी]] द्वारा रचित नवीन भाष्य। ज्योतिषशास्त्र के तीन स्कन्ध हैं - '''सिद्धान्त''', '''संहिता''' और होरा।'''होरा'''। इसीलिये इसे ज्योतिषशास्त्र को 'त्रिस्कन्ध' कहा जाता है। कहा गया है –
 
: सिद्धान्तसंहिताहोरारुपं स्कन्धत्रयात्मकम् ।