"वर्साय की सन्धि": अवतरणों में अंतर

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==संधि की शर्तें==
[[चित्र:German losses after WWI.svg|German losses after WWI.svg]]
[[चित्र:German losses after WWI.svg|thumb|वर्साय की संधि के बाद जर्मनी के क्षेत्रों का विभाजन: {{Legenda|#82BD59|लीग ऑफ नेशन्स द्वारा शासित}}<br />{{Legenda|#F0DC82|जर्मनी से छीनकर पड़ोसी राज्यों को दिया गया भूभाग}}<br />{{Legenda|#CC9966|विमार जर्मनी (Weimar Germany)}}]]
 
===राष्ट्रसंघ===
राष्ट्रसंघ का निर्माण एवं संगठन वर्साय-संधि का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग था। संधि के प्रथम भाग का संबंध इसी से है। यह मूलतः राष्ट्रपति [[विल्सन]] का सृजन था। उसका ख्याल था कि राष्ट्रसंघ को शांति-सम्मेलन की सबसे महान कृति होनी चाहिए। लायड जॉर्ज ने लिखा है विल्सन शांति-संधियों के केवल उस भाग को जिसमें राष्ट्रसंघ की व्यवस्था थी, सबसे अधिक महत्व देता था। इसके लिए वह कोई भी त्याग करने के लिए तैयार था और अंत में उसके कठिन प्रयास से ही राष्ट्रसंघ का निर्माण हुआ। विल्सन को छोड़कर मित्रराष्ट्र के अन्य प्रतिनिधियों का यह विचार था कि राष्ट्रसंघ संबंधी बातों को वर्साय-संधि के अंतर्गत रखना आवश्यक नहीं है। अन्ततः विल्सन की बात मान ली गयी और राष्ट्रसंघ के संविधान को वर्साय-संधि के अंतर्गत ही रख दिया गया। वर्साय-संधि की प्रथम 26 धाराएँ राष्ट्रसंघ का संविधान ही है, जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना तथा अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कायम रखना था।
 
===एल्सेस-लारेन===
वर्साय-संधि द्वारा प्रादेशित परिवर्तन करके जर्मनी का अंग भंग कर दिया गया। 1871 में जर्मनी ने [[फ्रांस]] से एल्सेस-लोरेन के प्रदेश छीन लिये थे। सबों ने एक स्वर से इस बात को स्वीकार किया कि यह एक गलत काम हुआ था और इसका अंत आवश्यक है। अतः संधि की शर्तों के द्वारा एल्सस-लोरेन के प्रदेश फ्रांस को वापस दे दिये गये।
 
== स्रोत ==