"इतालवी एकीकरण": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Italy unification 1815 1870.jpg|thumb|230px|इतालवी एकीकरण को दर्शाता हुआ नक़्शा, जिसमें विभिन्न राज्यों के संगठित इतालवी साम्राज्य में सम्मिलित होने के वर्ष दिए गए हैं]]
'''इतालवी एकीकरण''', जिसे [[इतालवी भाषा]] में '''इल रिसोरजिमेंतो''' (<small>Il Risorgimento</small>, अर्थ: पुनरुत्थान) कहते हैं, १९वीं सदी में [[इटली]] में एक राजनैतिक और सामाजिक अभियान था जिसने इतालवी प्रायद्वीप के विभिन्न राज्यों को संगठित करके एक इतालवी राष्ट्र बना दिया। इस अभियान की शुरुआत और अंत की तिथियों पर इतिहासकारों में विवाद है लेकिन अधिकतर के मत में यह सन् १८१५ में इटली पर [[नेपोलियन बोनापार्ट]] के राज के अंत पर होने वाले [[
[[नैपोलियन के युद्ध|नेपोलियन के युद्धों]] के कारण इटलीवासियों ने एकता की भावना का अनुभव किया और उन्होंने अपने देश को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करने का निश्चय किया। इसीलिए वहाँ राष्ट्रीयता और उदारवादी शक्तियों ने अनेक बार सिर उठाया, पर इन्हें कुचल दिया गया। [[रोम]] के प्राचीन गौरव का इतिहास लोगों को ज्ञात था। विद्या, [[कला]] और [[विज्ञान]] के क्षेत्र में वह प्राचीनकाल मेंं संसार का नेतृत्व करता था। अतः वे एक बार फिर से इटली को राष्ट्रशिरोमणि बनाने का सपना देखने लगे। यही कारण है कि अनेक कठिनाईयों और विफलताओं के बावजूद वहाँ राष्ट्रीय-एकीकरण का संघर्ष जारी रहा। अंतिम सफलता, प्रतिक्रियावाद के विरूद्ध [[उदारवाद]] और राष्ट्रीयता को मिली और इटली के एकीकरण का कार्य पूरा हो सका। इस एकीकरण का एक लंबा इतिहास है।
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==वियना-काँग्रेस के बाद इटली==
[[वियना काँग्रेस]] ने जन-इच्छा और राष्ट्रीयता की भावना की अवहेलना कर इटली में विविध राज्यों का पुनरुद्वार किया। उसके द्वारा इटली की जो नवीन व्यवस्था की गयी, उसकी रूपरेखा इस प्रकार थी-
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इस प्रकार इटली (एक देश) को तीन भागों में बाँट दिया गया था। इनमें अलग-अलग शासक थे। राष्ट्रीयता की दृष्टि से यह अनुकूल न था, इसलिए वहाँ के लोग इस व्यवस्था से असंतुष्ट थे। ऐसी स्थिति में उन्होंने संपूर्ण इटली को एक राष्ट्र का दर्जा प्रदान करने का प्रयास किया। इस कार्य की सफलता में अनेक बाधाएँ थीं, जिन्हें दूर करना आवश्यक था। 1815 ई. के बाद इटालियन देशभक्तों के ससक्ष तीन समस्याएँ प्रमुख रूप से विद्यमान थीं-
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अनेक बाधाओं के बावजूद इटली के देशभक्तों ने राष्ट्रीय-एकता का प्रयास आरंभ कर दिया। इसके लिए उन्होंने अनेक गुप्त-समितियों का गठन किया, जिनमें [[कार्बोनरी]] सबसे-प्रसिद्ध थी। लगभग सारे इटली में इसका जाल बिछाया गया। इसकी प्रेरणा से इटली में अनेक विद्रोह हुए, जिन्हें [[मेटरनिख]] के द्वारा कुचल दिया गया। अतः लोगों का यह विश्वास दृढ़ हो गया कि जब तक वहाँ से आस्ट्रिया का प्रभाव समाप्त नहीं होगा तब तक एकता के प्रयास सफल नहीं होंगे।
==मेजिनी का योगदान==
'''देखें, [[ज्युसेपे मेत्सिनी]]'''
इटली के राष्ट्रीय-एकीकरण के आदर्श को सम्यक् रूप देने का श्रेय [[ज्युसेपे मेत्सिनी|मेजिनी]] को
==विक्टर इमेनुएल का योगदान==
'''देखें, [[विक्टर इमानुएल द्वितीय]]'''
[[पीडमाँट]] का शासक [[विक्टर इमानुएल द्वितीय|विक्टर इमेनुएल]] अन्य यूरोपीय शासकों से भिन्न था। वह राष्ट्रीयता और लोकतंत्रवाद का समर्थक था। वह एक सच्चा देशभक्त, वीर और धैर्यवान व्यक्ति था। उसने इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। यह उदारवादी था। उसके इन विचारों से प्रभावित होकर देश की जनता ने उसे एक ईमानदार राजा की उपाधि दी। यह जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो गया। [[कैबूर]] उनका योग्य प्रधानमंत्री था। राष्ट्रीय मामलों में दोनों के बीच उचित तालमेल बना रहा और दोनों के वांछित सहयोग से राष्ट्रीय-एकीकरण का कार्य गति प्राप्त करता रहा। अतः यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा कि यदि विक्टर इमेनुएल न होता तो इटली के एकीकरण का कार्य अगर असंभव नहीं तो कठिन जरूर हो जाता।
==कैबूर का योगदान==
'''देखें, [[केमिल बेंसो बावूर]]'''
इटली के एकीकरण मेंं जिस व्यक्ति का सर्वाधिक योगदान था, उसका नाम [[केमिल बेंसो बावूर|काउंट केमिलो डी कैबूर]] था। वह अपने युग का एक महत्वपूर्ण और कुशल कूटनीतिज्ञ था। उसका जन्म 1810 ई. में ट्यूरिन के एक जमींदार परिवार में हुआ था। उसने अपना जीवन एक सैनिक के रूप में आरंभ किया, पर बाद में उसने उसका परित्याग कर दिया। वह वैध राजसत्ता का समर्थक था और इंग्लैण्ड की संसदीय प्रणाली से प्रभावित था। उसका प्रभाव देश में धीरे-धीरे बढ़ता गया। 1848 ई. में वह देश की संसद का सदस्य बना। अपनी योग्यता के बल पर वह 1852 ई. में पीडमाँट का प्रधानमंत्री बन गया। प्रधानमंत्री बनते ही उसने पीडमाँट की उन्नति की ओर विशेष ध्यान दिया। वह व्यावहारिक और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति था। उसने परिस्थितियों के अनुसार कार्य करके इटली के एककीरण के कार्य को संभव बनाया।
===गृह नीति ===
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फ्रांस की सहायता का आश्वासन पाकर कैबूर आस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध करने के लिए तत्पर था। अतः कैबूर के इशारे पर लोम्बार्डी औरवेनेशिया में आस्ट्रिया के खिलाफ विद्रोह हो गया। विद्रोह की स्थिति को देखते हुए आस्ट्रिया युद्ध की अनिवार्यता को समझ गया। फलस्वरूप 1859 ई. में दोनों पक्षों में युद्ध प्रारंभ हा गया। युद्ध जारी ही था कि अचानक फ्रांस ने अपने का युद्ध से अलग कर लिया। इसका कारण था प्रशिया का युद्ध में आस्ट्रिया की सहायता के लिए तैयार होना तथा उसका खर्चीला होना। साथ ही, नेपोलियन ने यह अनुभव किया कि इटली का संगठित होना फ्रांस के प्रति उचित न था। ऐसी स्थिति में इटली और आस्ट्रिया बीच ज्यूरिक की संधि हो गयी, जिसकी शर्तें इस प्रकार थीं -
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इस संधि से इटली संतुष्ट नहीं हुआ, क्योंकिवेनेशिया का आस्ट्रिया के अधीन रहना उसे खल रहा था, फिर भी लोम्बार्डी की प्राप्ति एकीकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि थी, हालांकि मध्य और दक्षिण में एकीकरण का कार्य अभीशेष था।
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==गैरीबॉल्डी के कार्य==
'''देखें, [[जुज़ॅप्पे गारिबाल्दि]]'''
[[जुज़ॅप्पे गारिबाल्दि|गैरीबॉल्डी]] ने
===सिसली और नेपल्स पर अधिकार===
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==रोम की प्राप्ति==
[[रोम]] का प्राचीन वैभव इटलीवासियों के लिए गौरव कारण था। वे उसे नवीन इटली राज्य की राजधानी बनाना चाहते थे पर उस पर अभी पोप का अधिकार था। 1870 ई. में फ्रांस और [[प्रशा]] के बीच युद्ध छिड़ गया। ऐसी स्थिति में फ्रांस को रोम में स्थित अपनी सेना को वापस बुलाना पड़ा। जर्मनी के एकीकरण के दौर में यह युद्ध सीडान के मैदान में लड़ा गया, जिसमें अंतिम सफलता प्रशा को मिली। इस स्थिति ने रोम पर आक्रमण करने के लिए इटली को अनुकूल अवसर प्रदान किया, जिसका लाभ उठाकर उसने रोम पर आक्रमण कर दिया। 20 सितम्बर 1870 ई. को इटली के सेनापति केडोनी ने रोम पर इटली का अधिकार स्थापित कर लिया। इस प्रकार इटलीवासियों की यह अंतिम इच्छा भी पूर्ण हो गयी। 2 जून 1871 ई. को विक्टर इमेनुएल ने रोम में प्रवेश किया। इटली की संसद का उद्घाटन करते हुए उसने कहा, ‘‘हमारी राष्ट्रीय एकता पूर्ण हो गयी, अब हमारा कार्य राष्ट्र को महान बनाना है।‘‘
इस प्रकार इटली के एकीकरण का महान् कार्य पूरा हो सका।
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