"च्यांग काई शेक": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Chiang Kai-shek.jpg|right|thumb|200px|च्यांग काई शेक]]
'''च्यांग काई शेक''' (Chiang Kai-shek ; १८८७-१९७५) [[चीन]] का राजनेता एवं सैनिक नेता था जिसने १९२७ से १९७५ तक
== परिचय ==
च्यांग काई शेक का जन्म चिकोउ (Xikou) नामक कस्बे में हुआ था जो चेकियांग (Zhejiang) प्रान्त में निंग्बो से ३० किमी
[[सन यात-सेन|सुनयातसेन]] की मृत्यु (१९२५) के बाद कुओमिंतांग दल में नेतृत्व के संघर्ष में च्यांग काई शेक विजयी हुआ। चीन के एकीकरण को योजना की कार्यान्वित करने के प्रश्न पर दल के वाम एवं दक्षिण पक्ष में काफी खींचतान हुई। किंतु अंत में च्यांग काई शेक के ही सेनापतित्व में १९२६ में 'उत्तरी अभियान' प्रारंभ हुआ। शीघ्र ही यौग्त्से घाटी के प्रमुख नगरों पर अधिकार हो गया। किंतु सफलता के क्षण में ही कुओमिंतांग दल में फूट पड़ गई और अभियान ठप हो गया। आक्रमणकारी सेना के वामपक्षी एवं दक्षिणपक्षी दलों ने वुहान और नानकिंग में अलग अलग अपने प्रधान अधिकरण बना लिए। इस खींचतान के बीच ही कुओमितांग दल के वामपक्षियों और उसके समर्थक साम्यवादियों में भी झगड़ा हो गया। फलत: साम्यवादी निष्कासित कर दिए गए। दक्षिणपक्षी नानकिंग की सरकार में च्यांग काई शेक का प्राबल्य तो था ही, शंघाई नगर भी उसके अधिकार में आ गया। उस कार्य में सशस्त्र बाधा डालनेवाले साम्यवादियों के विरुद्ध च्यांग ने कड़ी कार्रवाई की। सोवियत सलाहकारों को रूस लौट जाने के लिये उसने विवश किया। चीनी साम्यवादियों को कारावास एवं मृत्युदंड दिए। साम्यवादी विरोधी अभियानों में शंघाई के धनपतियों एवं विदेशियों ने उसकी सहायता की। किंतु यह सब होते भी अपने दल के असंतुष्ट नेताओं के विरोध एवं कई पराजयों के कारण च्यांग काई शेक को पदत्याग करना पड़ा। शंघाई में उसने स्वर्गीय सुनयात्तसेन की साली सूंग मेई-लिना के साथ अपना दूसरा विवाह कर ईसाई धर्म अंगीकार कर लिया।
पंक्ति 9:
राजनीतिक उथल पुथल के मध्य नानकिंग सरकार ने उसे १९२७ के अंत में महासेनापति पद पर पुन: बुलाया। उसके नेतृत्व में १९२८ में कुओमिंतांग सेनाओं ने पीकिंग पर अधिकार किया। मंचूरिया के नए सेनासत्ताधारी ने बिना लड़े ही कुओमिंतांग सरकार की अधीनता स्वीकार कर ली। चीन में राष्ट्रीय एकता स्थापित हो गई, किंतु वस्तुत: यह सैनिक एकीकरण मात्र था। नानकिंग में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना हुई और च्यांग काई शेक उसका राष्ट्रपति (१९२८-३१) बना। किंतु तानाशाही अधिकारों का भोग करते हुए भी प्रबल विरोधियों के संघर्ष के कारण उसका सारे चीन पर कभी नियंत्रण न स्थापित हो सका।
च्यांग काई शेक ने साम्यवादियों के विनाश करने के सारे प्रयत्न किए। पर साम्यवादियों ने [[माओ त्से
१९४६ में चीन के नए संविधान के अंतर्गत च्यांग काई शेक राष्ट्रपति बना किंतु साम्यवादियों के विनाश के लिये किए जानेवाले अभियानों के परिणाम भयंकर युद्ध हुए, जिनमें च्यांग को पराजित होकर चीन छोड़ भाग जाना पड़ा। दिसंबर, १९४३ में उसने [[फारमोसा]] में चीन की राष्ट्रवादी सरकार का संघटन किया।
पंक्ति 17:
==इन्हें भी देखें==
*[[चीन का गृहयुद्ध]]
*[[माओ त्से-तुंग]]
[[श्रेणी:चीन]]
|