"१९०५ की रूसी क्रांति": अवतरणों में अंतर

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रूस की 1905 की क्रांति के कारण उसकी राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियों में निहित थे। [[रूस-जापान युद्ध|जापानी युद्ध]] ने केवल उत्प्रेरक का कार्य किया। युद्ध में पराजय के कारण रूस की जनता का असंतोष इतना बढ़ गया था कि उसने राज्य के विरूद्ध विद्रोह कर दिया। इस क्रांति के कारण ही सरकार को जापान से युद्ध बंद कर शांति संधि करनी पड़ी। इस क्रांति के कारण निम्नलिखित थे -
 
*(1.) [[अलेक्जेण्डर तृतीय]] और [[निकोलस द्वितीय]] के शासन-काल में सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। इसके विपरीत, प्रशासन में प्रतिक्रियावादी तत्वों का पूर्ण प्रभाव बना रहा। सुधार आंदोलनों को अत्यंत कठोरता से कुचल दिया जाता था। जार की शक्ति पूर्ण रूप से निरंकुश और स्वेच्छाचारी थी।
 
*(2.) जार के मंत्री पोवीडोनोस्नेव, टाल्सटाय, प्लेहवे घोर प्रतिक्रियावदी थे। सुधार की माँग को दबाने के लिए उन्होंने जघन्य अत्याचार किये। इससे आतंकवाद बढ़ता गया। पुलिस के अधिकार असीमित थे और निरपराध व्यक्तियों को संदेह मात्र में मृत्यु दण्ड दिया जाता था या साइबेरिया से निर्वासित कर दिया जाता था।
 
*(3.) क्रांति का कारण कृषकों की भूमि समस्या थी। अभिजात वर्ग के अधिकार में विशाल कृषि भूमि थी। किसान चाहते थे कि इस भूमि को उनमें बाँट दिया जाये। क्रांतिकारियों के प्रचार से उनमें भी जागृति आ रही थी। क्रांति के द्वारा वे भूमि प्राप्त करना चाहते थे।
 
*(4.) श्रमिकों का असंतोष भी क्रांति का कारण था। रूस में औद्योगीकरण के कारण बड़ी संख्या में मजदूर नगरों में एकत्रित हो गये थे। उनका जीवन असुरक्षित और दयनीय था। औद्योगिक समस्याओं की ओर से सरकार उदासीन था। श्रमिकों में समाजवादी विचार तेजी से फैल रहे थे। उन्हें संगठन बनाने या हड़ताल करने का अधिकार नहीं था। सरकार के दमन से उनमें असंतोष बढ़ता जा रहा था।
 
*(5.) 1896 के बाद सुधार आंदोलन तेज हो गया था। अभिजात वर्ग और उच्च वर्ग के लोग भी सुधारों की माँग कर रहे थे। समाजवादी समाज में आमूल परिवर्तन की माँग कर रहे थे। 1893 से [[मार्क्सवाद|मार्क्सवादी विचारधारा]] का प्रचार हो रहा था।
 
*(6.) रूसीकरण की नीति के कारण दलित जातियाँ जैसे फिन, पोल आदि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही थी। इनके असंतोष से क्रांति को बल प्राप्त हुआ।
 
*(7.) आतंकवादी पुलिस और भष्ट अधिकारियों की हत्या कर रहे थे। शासन के जुल्म और अत्याचार का यही एकमात्र जबाव रह गया था। कृषकों और श्रमिकों को क्रांति के लिए संगठित किया जा रहा था क्योंकि शांतिपूर्ण उपायों द्वारा सुधार असंभव हो गया था।
 
*(8.) [[रूस-जापान युद्ध]] में रूस की पराजय से सरकार की अयोग्यता और भ्रष्टाचार स्पष्ट हो गया। सभी वर्गां में सरकार की आलोचना हो रही थी। निरंकुश और अयोग्य सरकार के परिवर्तन की माँग बढ़ गयी। जनता के कष्ट बढ़ते जा रहे थे। उन्हें केवल पुलिस का अत्याचार मिलता था।
 
==तात्कालिक पृष्ठभूमि==
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क्रांति की असफलता के कारण निम्नलिखित थे -
 
*(1.) रूस का सैनिकतंत्र दुर्बल नहीं हुआ था। यद्यपि सुदूरपूर्व में हार हो गयी थी, पर सेना पूर्ण रूप से पराजित नहीं हुई थी। जब तक वह सुदूरपूर्व में फँसी रही, जार को क्रांतिकारियों की माँगों को स्वीकार करना पड़ा। उसके वापस आते ही जार ने रियासतें वापस ले लीं और क्रांति को कुचल डाला।
 
*(2.) विभिन्न राजनीतिक दलों के उद्देश्यों में एकता नहीं थी। अक्टूबरवादी परामर्शदात्री ड्यूमा से संतुष्ट थे। केडेट पार्टी संसदीय प्रणाली चाहती थी। समाजवादी समाज में आमूल परिवर्तन चाहते थे। उद्देश्य एक न होने से आंदोलन में एकता का अभाव हो गया।
 
*(3.) विभिन्न वर्ग अपने-अपने हितों के लिए कार्य कर रहे थे। श्रमिक वर्ग औद्योगिक समस्याओं को हल करने की प्राथमिकता दे रहा था। कृषक वर्ग समझता था कि ड्यूमा को इसलिए नियंत्रित किया जा रहा है कि वह भूस्वामियों की भूमि जब्त करके उनमें बाँट दे। बुद्धिजीवी नागरिक संविधान और नागरिक अधिकारों में रूचि रखते थे। श्रमिकों और कृषकों को इनमें रूचि नहीं थी।
 
*(4.) विट की रियासत देने की नीति ने भी आंदोलन को दुर्बल कर दिया। अक्टूबर की घोषणा से केडेट पार्टी में फूट पड़ गयी थी। कृषकों को अनेक रियासतें दी गयी। सामान्य नागरिक, जनता और श्रमिक वर्ग व्यापक मताधिकार से संतुष्ट हो गया था। इससे समाजवादी और आतंकवादी पृथक् रह गये।
 
*(5.) क्रांति के दौरान श्रमिकों और कृषकों की हिंसा से मध्यम वर्ग क्रांति से विमुख होने लगा था । [[मास्को]] के श्रमिकों में बोल्शेविकों का प्रभाव था जिनका सैनिकों से संघर्ष हुआ। ग्रामों में कृषकों की लूट और हिंसा का भी विरोधी प्रभाव पड़ा।
 
*(6.) क्रांति को चलते एक वर्ष से अधिक हो गया था। इससे जनता में उदासीनता आने लगी थी। रूस जैसे विशाल देश में विभिन्न क्षेत्रों के मध्य समन्वय रखना भी कठिन था। अतः जनता अब ड्यूमा की ओर आकर्षित हो गयी थी।
 
*(7.) सरकार को विदेशी ऋण मिल जाने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गयी। अब वह ड्यूमा को भंग कर सकती थी और क्रांति को कुचल सकती थी। [[पोर्ट्समाउथ की संधि]] में रूस को कोई अपना क्षेत्र जापान को नहीं देना पड़ा था। अतः सरकार को मनोबल ऊँचा था। उसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति भी दृढ़ थी। [[फ्रांस]] उसका मित्र था और [[इंग्लैण्ड]] से मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित हो रहे थे।
 
==अर्ध संवैधानिकता का युग (1906-1917)==