छो बॉट: अनुभाग शीर्षक एकरूपता।
पंक्ति 26:
* व्यक्ति की मौखिक अभिव्यक्तियों का अध्ययन करना इत्यादि।
 
वर्तमान समय के संदर्भसन्दर्भ में साक्षात्कार की भूमिका एक शिक्षक तथा साक्षात्कारार्थी के व्यवहार में प्रचलनकर्त्ता एवं वार्तालाप के सुकोमल प्रोत्साहनकर्त्ता के रूप में उभरने लगी है। साक्षात्कार पद्धति से यह लाभ होता है कि आवेदक गलत प्रतिक्रियाएं (Fake responses) सरलता से नहीं दे पाते हो। साक्षात्कार की परिस्थिति यदि सुगठित होती है तो यह एक उत्प्रेरक (Big motivator) का भी काम कर सकती है। सूचना प्राप्ति का यह एकमात्र स्रोत है। साक्षात्कार के समय आवेदक यह संकेत खोजता रहता है कि बातचीत से उस पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और साक्षात्कारकर्त्ता उसके बारे में क्यासोच रहे हो? इन संकेतों द्वारा आवेदक को प्रबलीकरण (Reinforment) मिलता है। उसका हर अगला व्यवहार इसी प्रत्यक्षीकरण से निर्दिष्ट होने लगता है।
 
काह्न तथा केंनेल (Kahn and Cannel, 1957) ने साक्षात्कार के अभिप्रेरणात्मक पहलू को विशेष महत्त्व दिया है। इन्होंने साक्षात्कार की सफलता