"स्वस्तिक मन्त्र": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छोNo edit summary
पंक्ति 1:
'''स्वस्तिक[[स्वास्तिक मंत्र''']] या '''स्वस्ति मन्त्र''' शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। ''स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो'' ।ऐसा। ऐसा माना जाता है कि इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। मंत्रोच्चार करते हुए दर्भ से जल के छींटे डाले जाते थे तथा यह माना जाता था कि यह जल पारस्परिक क्रोध और वैमनस्य को शांत कर रहा है। स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया 'स्वस्तिवाचनस्वस्ति-वाचन' कहलाती है।
 
: '' स्वस्ति नो इन्द्रो वृद्धश्रवाः।''
: '' स्वस्ति नःनो पूषा विश्ववेदाः।''
: '' स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।''नस्तार्क्ष्योऽरिष्टनेमिः।
: '' स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातुबृहस्पतिर्दधातु''
: '' द्यौः शांतिः अंतरिक्षः ग्वं शांतिः ।
: '' ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥''
:'' पृथिवी शांतिरापः शांतिरोषधयः शांतिः।
: '' वनस्पतयः शांतिर्विश्वे देवाः शांतिर्ब्रह्म शांतिः सर्व ग्वं शांतिः ।
: '' शांतिरेव शांति सा मा शांतिरेधि ॥
: '' यतो यतः समीहसे ततो नो अभयं कुरु ।
: '' शं नो कुरु प्रजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः। सुशांतिर्भवतु ।
: '' ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥''
 
गृहनिर्माण के समय स्वस्तिक मंत्र बोला जाता है।है । मकान की नींव में घी और दुग्धदूध छिड़का जाता था।था । ऐसा विश्वास है कि इससे गृहस्वामी को दुधारु गाएँगायें प्राप्त हेती हैं एवं गृहपत्नीपत्नी वीर पुत्र उत्पन्न करती है।है । खेत में बीज डालते समय मंत्र बोला जाता था कि विद्युत् इस अन्न को क्षति न पहुँचाए, अन्न की विपुल उन्नति हो और फसल को कोई कीड़ा न लगे।लगे । पशुओं की समृद्धि के लिए भी स्वस्तिक मंत्र का प्रयोग होता था जिससे उनमें कोई रोग नहीं फैलता था।था । गायों को खूब संतानें होती थीं।थीं ।
 
यात्रा के आरंभ में स्वस्तिक मंत्र बोला जाता था। इससे यात्रा सफल और सुरक्षित होती थी।थी । मार्ग में हिंसक पशु या चोर और डाकू नहीं मिलते थे।थे । व्यापार में लाभ होता था, अच्छे मौसम के लिए भी यह मंत्र जपा जाता था जिससे दिन और रात्रि सुखद हों, स्वास्थ्य लाभ हो तथा खेती कोमें कोई हानि न हो।हो ।
 
पुत्रजन्म पर स्वस्तिकस्वास्तिक मंत्र बहुत आवश्यक माने जाते थे।थे । इससे बच्चा स्वस्थ रहता था, उसकी आयु बढ़ती थी और उसमें शुभ गुणों का समावेश होता था।था । इसके अलावा भूत, पिशाच तथा रोग उसके पास नहीं आ सकते थे।थे । [[सोलह संस्कार|षोडश संस्कारों]] में भी मंत्र का अंश कम नहीं है और यह सब स्वस्तिकस्वास्तिक मंत्र हैं जो शरीररक्षाशरीर रक्षा के लिए तथा सुखप्राप्तिसुख प्राप्ति एवं आयुवृद्धिआयु वृद्धि के लिए प्रयुक्त होते हैं।हैं ।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[स्वस्तिक]]
*[[मंत्र]]
*[[धारणी]]
*[[शान्ति मन्त्र]]
 
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:संस्कृति]]
[[श्रेणी:मन्त्र]]