"वायलिन": अवतरणों में अंतर

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बेला के स्वरों की विशेषता का रहस्य इस बात में है कि उसे मूल स्वरों में बहुत से संनादी स्वर मिश्रित होते हैं। बेला के तार बहुत हल्के होते हैं, जिसके कारण बहुत ऊँचे तारत्ववाले संनादी स्वर उत्पन्न होते हैं। इन संनादी स्वरों के कारण ध्वनि उजागर हो उठती है। परंतु ताँत का न्यून लचीलापन इन संनादी स्वरों को शीघ्र ही मंद कर देता है, जिससे अंततोगत्वा ध्वनि की रुक्षता समाप्त हो जाती है।
 
==निर्माता==
बेला के आरंभिक निर्माताओ में [[इटली]] के इन व्यक्तियों के नाम उल्लेखनीय हैं : गास्पर दा सालो गियोवानी, पाओलो मेगिनी, ग्योविटा रोदियानो। निकोलस अनिती (सन् 1596-1684) ने इसमें कुछ सुधार किए और उसके शिष्य एंटिनियो (सन् 1644-1737) ने इसे वह रूप दिया जो आज तक चला आ रहा है। स्ट्रादिवेरी ने बेला का जो नमूना बनाया था और जो 17वीं शताब्दी से अब तक चला आ रहा है, उसका विवरण इस प्रकार है : लंबाई 14 इंच, ऊपर की चौड़ाई ६+११/१६ इंच, नीचे की चौड़ाई ८+१/४ इंच, ऊपर की ऊँचाई १+३/१६ इंच, नीचे की ऊंचाई १+१/३२ इंच।
 
इसके अलावा जेकोब स्टेनर ने एक बेला बनाया, जिसकी नकल [[इंग्लैंड]] और [[जर्मनी]] ने 18वीं सदी तक की। उसके बाद इसका प्रयोग क्रीमोना बेला के आने से कम हो गया।
 
बेला बनानेवाले [[अंगरेज|अंग्रेजों]] को तीन समुदायों में विभक्त किया जा सकता है :
* (1) प्राचीन बेला बनानेवाले, जिनमें रेमान, फेफीलोन, वारक, नॉरमन आदि हैं;
* (2) स्टेनर के अनुयायी, जिनमें स्मिथ, वैरट, क्रॉसहिल, नोरेस आदि हैं और
* (3) क्रीमोना बेला बनानेवाले, जिनमें वैट्स, कार्टर, पार्कर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
 
बेला बनानेवाले [[फ्रांसीसी|फ्रांसीसियों]] में निकोलस, स्लिवेस्त्री आदि का उल्लेख किया जा सकता है।
 
[[श्रेणी:वाद्य यंत्र]]