"डी॰वी॰ गुंडप्प": अवतरणों में अंतर

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'''डी वी गुण्डप्प''' या '''डीवीजी''' (1887 – 1975) [[कन्नड]] साहित्यकार एवं दार्शनिक थे।
 
गुंडप्प को अपने कार्यक्षेत्र [[कर्नाटक]] से बाहर अधिक प्रसिद्धि नहीं मिल सकी। यहां उन्होंने राजनीतिक सुधार और सामाजिक जागृति के लिए 50 वर्षों तक काम किया। उन्होंने इस कार्य को अपने लेखन के द्वारा प्राप्त करने की कोशिश की। उनके लेखन में गीत, कविताएं, नाटक, राजनीतिक पर्चे, जीवनियां और [[भागवतगीताभगवतगीता]] पर टीका शामिल हैं। वे पूरी तरह से आदर्श लोकतंत्र के समर्थक थे अनुशासन पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुशासनहीनता लोकतंत्र की दुश्मन है। उन्हें [[कर्नाटक सरकार]] ने [[पेंशन]] देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने इसे यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि इससे जनता के बीच अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक रखने के उनके अधिकार पर अंकुश लग जाएगा।
 
==समग्र साहित्य==