"जमानत": अवतरणों में अंतर
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ज़मानत के अनुसार [[अपराध]] दो प्रकार के होते हैं-
*(१) '''ज़मानती अपराध''' (Bailable Offence) - [[दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (भारत)|भारतीय दंड
:* (क) प्रथम अनुसूची में ज़मानती अपराध के रूप में दिखाया गया हो , या
:* (ख) तत्समय प्रविर्त्य किसी विधि द्वारा ज़मानती अपराध बनाया गया हो , या
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संहिता की प्रथम अनुसूची में जमानतीय एवं गैर-ज़मानती अपराधों का उल्लेख किया गया है। जो अपराध ज़मानती बताया गया है और उसमें अभियुक्त की ज़मानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्त्तव्य है। उदाहरण के लिये, किसी व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक साधारण चोट पहुँचाना, उसे सदोष रूप से अवरोधित अथवा परिरोधित करना, किसी स्त्री की लज्जा भंग करना, मानहानि करना आदि ज़मानती अपराध हैं।
*(२) '''ग़ैर-ज़मानती अपराध ''' (Non
:*(क) ज़मानती नहीं हैं, एवं
:*(ख) जिसे प्रथम अनुसूची में ग़ैर-ज़मानती अपराध के रूप में अंकित किया गया है, वे ग़ैर-ज़मानती अपराध हैं।
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