"आर्थिक नीति": अवतरणों में अंतर

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4. '''लाइसेंसिग व्यवस्था''' : इस व्यवस्था द्वारा उत्पादित वस्तुओं, लागत साधनों तथा पद्धति पर नियन्त्रण रखा जाता है। लाइसेंसिग नीति आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसकी सहायता से उत्पादन को नियन्त्रित किया जा सकता है।
 
==आर्थिक नीति के घटक==
राष्ट्र की आर्थिक नीति की सफलता उसके संघटको (कम्पोनेन्ट्स) पर आश्रित होती है। सामान्यतः निम्न नीतियों का प्रयोग आर्थिक नीति के संघटकों के रूप में किया जाता है :
 
1. '''प्राकृतिक संसाधन नीति''' : आर्थिक नीति के लक्ष्यों के अनुरूप प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग एवं विदोहन करना उपयुक्त होता है। खेती, वनो के विकास करने के लिए, सिंचाई आदी क्षेत्रों में विनियोग पर बल देना चाहिए।
 
2. '''आर्थिक नियोजन''' : नियोजन का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों से होता है। इसलिए नियोजन नीति का निर्माण आर्थिक नीति के लक्ष्यों के अनुरूप होना आवश्यक है।
 
3. '''जनसंख्या नीति''' : किसी देश के आर्थिक विकास में मानवीय संसाधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन देश की जनसंख्या में अधिक वृद्धि, उसके गुणात्मक पहलू में कमी आदि से देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। औद्योगिक नीति की सहायक नीति के रूप में जनसंख्या नीति तैयार की जाती है।
 
4. कृषि नीति
 
5. औद्योगिक नीति
 
6. '''व्यापारिक नीति''' : व्यापारिक नीति के अन्तर्गत प्रमुख रूप से आयात-निर्यात, अभ्यंश, दिशा व स्वभाव, स्वदेशी उद्योगों का संरक्षण एवं उनका स्वभाव विदेशी मुद्रा व सहायता, व्यापारिक समझौते व भुगतान सन्तुलन आदि समस्याओं को सम्मिलित किया गया है।
 
7. '''परिवहन एवं संचार नीति''' : देश में आधारभूत संरचना के निर्माण में परिवहन एवं संचार के साधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इन साधनों से देश के विभिन्न क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं और भौगोलिक दूरियाँ कम हो जाती है।
 
8. '''कीमत नीति''' : कीमत नीति द्वारा अर्थव्यवस्था में कीमतों का नियंत्रण एवं नियमन किया जाता है ताकि कीमतों में उच्चावचन न हो।
 
9. '''मौद्रिक एवं साख नीति''' : मौद्रिक कठिनाईयों को दूर करने तथा साख नियन्त्रण हेतु राष्ट्र की मौद्रिक नीति महत्वपूर्ण उपकरण है। भारत में [[भारतीय रिजर्व बैंक|रिजर्व बैंक]] द्वारा प्रति छः माह बाद मौद्रिक एवं साख नीति की घोषणा एवं परिवर्तित की जाती है।
 
10. '''प्रशुल्क नीति''' : प्रशुल्क नीति का ऋण एवं व्यय के वितरण, अर्थव्यवस्था की कार्यविधि को स्थित एवं सुव्यवस्थित आधार प्रदान करने हेतु प्रयोग किया जाता है। प्रशुल्क नीति का प्रमुख कार्य पूँजी निर्माण को प्रोत्साहित करना होता है।