"माहेश्वर सूत्र": अवतरणों में अंतर

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'''अच् = अ इ उ ॠ ॡ ए ऐ ओ औ।<br />'''
 
इसी तरह '''हल् प्रत्याहार''' की सिद्धि 5वें५वें सूत्र हयवरट् के आदि अक्षर ‘ह’'''ह''' को अन्तिम १४ वें सूत्र हल् के अन्तिम अक्षर (या इत् वर्ण) '''ल्''' के साथ मिलाने (अनुबन्ध) से होती है। फलतः,
 
: '''हल्''' = ह य व र, ल, ञ म ङ ण न, झ भ, घ ढ ध, ज ब ग ड द, ख फ छ ठ थ च ट त, क प, श ष स, ह।
 
उपर्युक्त सभी 14 सूत्रों में अन्तिम वर्ण की(ण् क् ङ् च् आदि) को पाणिनि ने '''इत् संज्ञा''' पाणिनिकी नेसंज्ञा कीदी है। इत् संज्ञा होने से इन अन्तिम वर्णों का उपयोग प्रत्याहार बनाने के लिए केवल अनुबन्ध (Bonding) हेतु किया जाता है, लेकिन व्याकरणीय प्रक्रिया मे इनकी गणना नही की जाती है अर्थात् इनका प्रयोग नही होता है। किन वर्णों की इत् संज्ञा होती है, इसका निर्देश पाणिनि ने निम्नलिखित सूत्रों द्वारा किया है:
 
== नन्दिकेश्वरकाशिका ==