"अमरकोश": अवतरणों में अंतर

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अमरकोष पर आज तक ४० से भी अधिक टीकाओं का प्रणयन किया जा चुका है। उनमें से कुछ प्रमुख टीकाएँ निम्नलिखित हैं –
 
*१. '''अमरकोशोद्घाटन''' -: इसके रचनाकार [[क्षीरस्वामी]] हैं। यह क्षीरस्वामी का प्रमेयबहुल ग्रन्थ है। यह अमरकोष की सबसे प्राचीन टीका है। क्षीरस्वामी के समय के विषय में स्पष्टरूप से नहीं कहा जा सकता। परन्तु विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर इनका समय १०८० ई० से ११३० ई० के मध्य निर्धारित किया जा सकता है।
 
*२. '''टीका सर्वस्व''' -: इसके रचनाकार सर्वानन्द हैं। ये बंगाल के निवासी थे। इनके विषय में स्पष्ट साक्ष्य प्राप्त होते हैं, जिसके अनुसार इनका समय ११५९ ई० है।
 
*३. '''कामधेनु''' -: इसके रचनाकार सुभूतिचन्द्र हैं। इस टीका का अनुवाद [[तिब्बती भाषा]] में भी उपलब्ध है। इनका समय ११९१ ई० के आसपास है।
 
*४. '''रामाश्रमी '''-: इस टीका के रचनाकार [[भट्टोजि दीक्षित]] के पुत्र [[भानुजि दीक्षित]] हैं। इस टीका का वास्तविक नाम ’व्याख्या सुधा’ है। संन्यास लेने के बाद भानुजि ने अपना नाम रामाश्रम रख लिया। उनके नाम के आधार पर यह टीका “रामाश्रमी टीका” के नाम से प्रसिद्ध हुई। आज यह प्रायः इसी नाम से जानी जाती है।
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: '''सर्वाणि नामानि आख्यातजानि।'''
 
इसी सिद्धान्त का पालन करते हुए भानुजि[[भट्टोजि दीक्षित]] ने अमरकोष में परिगणित शब्दों का निर्वचन किया है। वे भी सभी शब्दों को धातुज मानते हुए उनका निर्वचन करते हैं।
 
== अमरकोश के कुछ श्लोक ==