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[[File:Raskhan (रसखान) 2014-01-08 21-42raskhan.jpg|thumbnail|Raskhan (रसखान)]]
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'''रसखान''' (जन्म: १५४८ ई) [[कृष्ण]] भक्त [[मुस्लिम]] कवि थे। [[हिन्दी]] के कृष्ण भक्त तथा [[रीतिकाल|रीतिकालीन]] रीतिमुक्त कवियों में रसखान का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। रसखान को 'रस की खान' कहा गया है। इनके काव्य में [[भक्ति]], [[शृंगार रस]] दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और उनके सगुण और निर्गुण निराकार रूप दोनों के प्रति श्रद्धावनत हैं। रसखान के सगुण कृष्ण वे सारी लीलाएं करते हैं, जो कृष्ण लीला में प्रचलित रही हैं। यथा- बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला आदि। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं को बखूबी बाँधा है। [[मथुरा]] में इनकी समाधि है।
 
[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] ने जिन मुस्लिम हरिभक्तों के लिये कहा था, "इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए" उनमें रसखान का नाम सर्वोपरि है। [[बोधा]] और [[आलम]] भी इसी परम्परा में आते हैं। सय्यद इब्राहीम "रसखान" का जन्म अन्तर्जाल पर उपलब्ध स्रोतों के अनुसार सन् १५३३ से १५५८ के बीच कभी हुआ था। कई विद्वानों के अनुसार इनका जन्म सन् १५९० ई. में हुआ था। चूँकि [[अकबर]] का राज्यकाल १५५६-१६०५ है, ये लगभग अकबर के समकालीन हैं। इनका जन्म स्थान पिहानी जो कुछ लोगों के मतानुसार [[दिल्ली]] के समीप है। कुछ और लोगों के मतानुसार यह पिहानी उत्तरप्रदेश के [[हरदोई ज़िलेजिला|हरदोई जिले]] में है। मृत्यु के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। यह भी बताया जाता है कि रसखान ने [[भागवत]] का अनुवाद [[फारसी]] में किया।
 
== परिचय ==
रसखान के जन्म के सम्बंध में विद्वानों में मतभेद पाया जाता है। अनेक विद्वानों इनका जन्म संवत् 1615 ई. माना है और कुछ ने 1630 ई. माना है।
रसखान के अनुसार गदर के कारण [[दिल्ली]] श्मशान बन चुकी थी, तब दिल्ली छोड़कर वह [[ब्रज]] ([[मथुरा]]) चले गए। ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर पता चलता है कि उपर्युक्त गदर सन् 1613 ई. में हुआ था। उनकी बात से ऐसा प्रतीत होता है कि वह उस समय वयस्क हो चुके थे।
 
रसखान का जन्म संवत् 1590 ई. मानना अधिक समीचीन प्रतीत होता है। भवानी शंकर याज्ञिक का भी यही मानना है। अनेक तथ्यों के आधार पर उन्होंने अपने मत की पुष्टि भी की है। ऐतिहासिक ग्रंथों के आधार पर भी यही तथ्य सामने आता है। यह मानना अधिक प्रभावशाली प्रतीत होता है कि रसखान का जन्म सन् 1590 ई. में हुआ था।
 
रसखान के जन्म स्थान के विषय में भी कई मतभेद है। कई विद्वान उनका जन्म स्थल पिहानी अथवा दिल्ली को मानते है। [[शिवसिंह सरोज]] तथा हिन्दी साहित्य के प्रथम इतिहास तथा ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर रसखान का जन्म स्थान पिहानी जिला हरदोई माना जाए।
 
रसखान अर्थात् रस के खान, परंतु उनका असली नाम सैयद इब्राहिम था और उन्होंने अपना नाम केवल इस कारण रखा ताकि वे इसका प्रयोग अपनी रचनाओं पर कर सकें।
 
==काव्य रचना==
== इन्हें भी देखें ==
रसखान एक महान कवि थे। उनकी अधिकांश रचनायें [[भगवान कृष्ण]] को समर्पित हैं। निम्नलिखित [[सवैया]] में रसखान ने अगले जन्म के लिये ब्रज के आसपास उत्पन्न होने की कामना की है-
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8 रसखान की रचनाएँ कविताकोश में]
:'' मानुष हों तो वही रसखान, बसौं नित गोकुल गाँव के ग्वारन।
:''जो पसु हौं तौ कहा बसु मेरौ, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।
:''पाहन हौं तौ वही गिरि कौ जुधर्यौ कर छत्र पुरंदर कारन।
:''जो खग हौं तो बसेरौं नित, कालिंदी-कूल कदंब की डारन।।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8 रसखान की रचनाएँ कविताकोश में]
*[https://books.google.co.in/books?id=4tBUBQAAQBAJ&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false रसखान रत्नावली] (गूगल पुस्तक; सम्पादनकर्ता- राघव रघु)
 
{{भक्ति काल के कवि }}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रसखान" से प्राप्त