"झलकारी बाई": अवतरणों में अंतर

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== ऐतिहासिक एवं साहित्यिक उल्लेख ==
मुख्यधारा के इतिहासकारों द्वारा, झलकारी बाई के योगदान को बहुत विस्तार नहीं दिया गया है, लेकिन आधुनिक स्थानीय लेखकों ने उन्हें गुमनामी से उभारा है। [[अरुणाचल प्रदेश]] के राज्यपाल (२१-१०-१९९३ से १६-०५-१९९९ तक) और श्री [[माता प्रसाद]] ने झलकारी बाई की जीवनी की रचना की है। इसके अलावा [[चोखेलाल वर्मा]] ने उनके जीवन पर एक वृहद काव्य लिखा है, [[मोहनदास नैमिशराय]] ने उनकी जीवनी को पुस्तकाकार दिया है<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/bs/home.php?bookid=3218|title=वीरांगना झलकारी बाई| accessmonthday=[[१८ अक्तूबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=पीएचपी|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref> और [[भवानी शंकर विषारदविशारद]] ने उनके जीवन परिचय को लिपिबद्ध किया है। राष्ट्रकवि [[मैथिलीशरण गुप्त]] ने झलकारी की बहादुरी को निम्न प्रकार पंक्तिबद्ध किया है - <br />
: ''जा कर रण में ललकारी थी, वह तो झाँसी की झलकारी थी। <br />
: ''गोरों से लड़ना सिखा गई, है इतिहास में झलक रही, <br />
: ''वह भारत की ही नारी थी।
 
== बाह्यसूत्र ==
* [http://hindi.webdunia.com/inspiring-personality/jhalkari-bai-114112200015_1.html वीरांगना झलकारी बाई] (वेबदुनिया)