"सायण": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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(7) शकर दिग्विजय (आदि शंकराचार्य का लोक प्रख्यात जीवन चरित्)।
अंतिम ग्रंथ की रचना के विषय में आलोचक संदेहशील भले हों, परंतु पूर्वनिबद्ध छहों ग्रंथ माधवाचार्य की असंदिग्ध रचनाएँ हैं। अनेक वर्षों तक मंत्री का अधिकार संपन्न कर और साम्राज्य को अभीष्ट सिद्धि की ओर अग्रसर कर माधवाचार्य ने संन्यास ले लिया और श्रृंगेरी के माननीय पीठ पर आसीन हुए। इनका इस आश्रम का नाम था -
== सायण के गुरु ==
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